शेरघाटी. शेरघाटी शहर के गोलाबाजार रोड एक शिवालय के निकट स्थित ऐतिहासिक मुगलकालीन तालाब का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है. बरसात में तालाब की दीवार और सीढ़ियों का अधिकतर हिस्सा धंस गया है, जिससे सड़क का कुछ हिस्सा भी टूटकर तालाब में चला गया है. स्थानीय लोगों के अनुसार इस वर्ष अधिक वर्षा होने के कारण अचानक सीढ़ियों के साथ दीवार धंस गयी. अब धीरे-धीरे चारों ओर की दीवारें भी धंसने लगी हैं. आशंका जतायी जा रही है कि यदि 24 घंटे लगातार बरसात हुई तो तालाब पूरी तरह समाप्त हो सकता है. तालाब के चारों ओर मकान बने हैं और आसपास के घरों से निकलने वाला नाली का गंदा पानी भी तालाब में बह रहा है, जिसकी सफाई का कोई प्रबंध नहीं है. शहर के जानकार बताते हैं कि तालाब के दक्षिण छोर पर शिव मंदिर और उत्तर छोर पर मस्जिद स्थित है. मुगलकाल में लोग यहां नहा-धोकर और पाक-साफ होकर मंदिर व मस्जिद जाया करते थे. लेकिन अब यह विरासत मिटने के कगार पर है. नगर पर्षद ने धंसी सीढ़ियों और दीवार के पास बोरी में बालू भरकर अस्थायी इंतजाम किया है, लेकिन यह कब तक टिक पायेगा कहना मुश्किल है. 17 और 19 लाख खर्च के बाद भी बदहाली स्थानीय निवासी कपिल प्रसाद, सत्येंद्र कुमार और प्रमोद वर्मा ने बताया कि तालाब की यह स्थिति तब है, जब इसके जीर्णोद्धार के लिए पहले करीब 17 लाख और फिर करीब 19 लाख रुपये खर्च किये गये, लेकिन इन खर्चों का कोई लाभ नजर नहीं आया. लोगों का कहना है कि ””जीवन आधार”” योजना के तहत तालाब की उड़ाही करायी गयी थी, कुछ सीढ़ियों पर फुटपाथ लगाया गया और सतही मरम्मत की गयी, लेकिन दीवार की जड़ों की मरम्मत नहीं की गयी. बरसात का पानी तालाब में भरते ही दीवारों में रिसाव हुआ और धीरे-धीरे वे धंसने लगीं. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह का सुंदर और विशाल तालाब का निर्माण अब संभव नहीं है, इसलिए इसकी मरम्मत और सौंदर्यीकरण के कार्य पर प्रशासन को तुरंत ध्यान देना चाहिए. उन्होंने जिलाधिकारी और संबंधित विभाग से शीघ्र मरम्मत की मांग की है, ताकि तालाब का अस्तित्व बचाया जा सके.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

