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Gaya News : ग्रामीण विकास के लिए नेतृत्व व शासन कौशल में बेहतरी जरूरी

Gaya News : आइआइएम बोधगया ने झारखंड में पंचायती राज संस्थानों (पीआरआइ) के 47 निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए अपने पांच दिवसीय प्रबंधन विकास कार्यक्रम (एमडीपी) का समापन किया.

बोधगया. आइआइएम बोधगया ने झारखंड में पंचायती राज संस्थानों (पीआरआइ) के 47 निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए अपने पांच दिवसीय प्रबंधन विकास कार्यक्रम (एमडीपी) का समापन किया. पंचायती राज मंत्रालय के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रभावशाली एवं स्थायी ग्रामीण विकास के लिए नेतृत्व और अधिकारिक क्षमताओं को मजबूत करना रहा. दो सत्रों में आयोजित इस कार्यक्रम ने कुल 113 प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित किया, जो स्थायी ग्रामीण विकास के लिए उनके नेतृत्व एवं शासन कौशल को प्रभावशाली रूप से बढ़ायेंगे. प्रशिक्षण एक प्रारंभिक सत्र के साथ शुरू हुआ, जिसमे झारखंड के विभिन्न ग्राम पंचायतों के लगभग 66 निर्वाचित प्रतिनिधियों को एक साथ लाया गया. इस सत्र में एमबीए डिग्री के साथ भारत की पहली सरपंच छवी राजावत की भागीदारी देखी गयी, जिसका विषय सामाजिक परिवर्तन और सुशासन रहा. उद्घाटन सत्र में आइआइएम बोधगया की निदेशक डॉ विनीता एस सहाय ने नेतृत्व उत्कृष्टता और सार्वजनिक शासन को मजबूत करने के लिए संस्थान द्वारा किये जा रहे प्रयासों का उल्लेख किया. पाठ्यक्रम ने प्रमुख अधिकारिक क्षेत्रों जैसे वित्तीय प्रबंधन, संसाधन आवंटन, डिजिटल शासन, पंचायती राज में एआइ, एमएल अनुप्रयोगों और सतत विकास को संबोधित किया गया. प्रतिभागियों को प्रभावी नीतियों को विकसित करने, स्थानीय संसाधनों का अनुकूलन करने के साथ- साथ परिवर्तनकारी ग्रामीण पहल के लिए आवश्यक कौशल से लैस किया गया. सार्वजनिक अधिकारिक क्षमता निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है आइआइएम बोधगया आइआइएम बोधगया की निदेशक डॉ विनीता एस सहाय ने ग्रामीण विकास में महिलाओं और युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिकाओं को रेखांकित किया. डॉ सहाय ने महिलाओं के लिए कौशल विकास कार्यशालाओं के मूल्य पर प्रकाश डाला, जो वित्तीय स्वतंत्रता, सामाजिक जुड़ाव और आर्थिक समावेश को बढ़ावा देने में मदद करती है. उन्होंने समझाया कि ये कार्यशालाएं आत्मनिर्भरता और समावेशी ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देकर समुदायों को सशक्त बनाती हैं. कार्यक्रम का समन्वय प्रो जितेंद्र यादव और प्रो टीना भारती द्वारा किया गया. दोनों ने अधिकारिक और प्रबंधन प्रशिक्षण में शिक्षाविदों के समक्ष अपने विचार प्रस्तुत किये. उनके नेतृत्व ने एक व्यावहारिक और प्रैक्टिकल पाठ्यक्रम सुनिश्चित किया, जो समकालीन अधिकारिक प्रथाओं और प्रौद्योगिकी-संचालित समाधानों को प्रभावी ढंग से संबोधित करता दिखा.

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