बांकेबाजार. आज के परिवेश में महिलाएं हर क्षेत्र में मेहनत व लगन से काम कर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही हैं. ऐसी ही मिसाल पेश की है बांकेबाजार प्रखंड के दीघासिन गांव की रहनेवाली कंचन कुमारी ने. कंचन मशरूम का अलग-अलग तरीके से उत्पादन कर आगे बढ़ रही हैं व क्षेत्र की महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई हैं. इन्होंने 2022 में 25 बैग मशरूम उत्पादन कर अपने बिजनेस की शुरुआत की. उसने पहले खुद की सोच से बाल्टी मशरूम तैयार कर क्षेत्र में एक अलग पहचान बनायी. इसको लेकर कृषि विभाग द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया गया. इसकी चर्चा क्षेत्र में खूब हुई थी. अब कंचन एक कदम और आगे बढ़ाते हुए अब ढोलची मशरूम बना रही हैं. इसके कारण महिलाओं में मशरूम तैयार करने की जिज्ञासा जागृत हो रही है. कंचन सभी तरह का मशरूम उगाती ही हैं. साथ में बहुत सारी महिलाओं को सीखा कर मशरूम की खेती करा रही हैं. दलित परिवार से ताल्लुक रखने वाली कंचन बताती हैं कि खेती में महिलाओं का योगदान कम है, क्योंकि वह खेत तक नहीं जातीं. खास कर दलित और महादलित के पास तो खेत भी नहीं है. इसलिए मैंने सोचा घर में ही खेत को लाया जाये. जब 25 बैग से मशरूम की शुरुआत की तभी से इस काम को आगे बढ़ाया और लोग को जोड़ना शुरू किया. आज बांकेबाजार ही नहीं, इमामगंज, डुमरिया, चतरा, आमस, गया शहर में भी बाल्टी और ढोलची मशरूम महिलाओं से लगवा रही हूं. इससे महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं.
प्लास्टिक की ढोलची में मशरूम उगाने के कई फायदे
कम जगह : प्लास्टिक की ढोलची में मशरूम उगाने से कम जगह में अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.
कम लागत : ढोलची की लागत कम होती है, जिससे मशरूम उगाने की लागत कम हो जाती है.आसान रखरखाव : ढोलची में मशरूम उगाने के लिए कम रखरखाव की आवश्यकता होती है. इससे श्रम की बचत होती है.
बेहतर उत्पादन : इसमें मशरूम को विशेष रूप से उगाने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान किया जा सकता है.पर्यावरण अनुकूल : पर्यावरण को भी लाभ पहुंचता है, क्योंकि इसमें कूड़ा-कचरा कम होता है.
मशरूम से महिलाओं को मिली नयी पहचान और आत्मसम्मान
इस मामले में सर्व सेवा समिति संस्था के जिला प्रबंधक रजनी भूषण ने बताया की मशरूम से मिली पहचान और सम्मान से कंचन के साथ बहुत सारी महिलाएं जुड़ रही हैं. बांकेबाजार महिला विकास फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी की अध्यक्ष द्रौपदी देवी कहती हैं कि सपने देखने का हक हर किसी को होता है. लेकिन उन्हें साकार करने का अवसर बहुत कम लोगों को मिलता है. मशरूम ने कंचन के माध्यम से महिलाओं को न सिर्फ रोजगार मिला, बल्कि उन्हें समाज में एक नयी पहचान और आत्मसम्मान भी मिला
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