नीरज कुमार, गया जी. गया संग्रहालय को नई पहचान देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है. राज्य सरकार द्वारा संग्रहालय परिसर के जीर्णोद्धार, सजावट और वातानुकूलन व्यवस्था के लिए दो करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गयी है. इस राशि से संग्रहालय की पांच दीर्घाओं को आधुनिक ढंग से सुसज्जित किया जायेगा, वहीं लॉबी को और अधिक आकर्षक व विजुअल इंटरफेस से सजाया जायेगा. फिलहाल संग्रहालय की स्थिति अव्यवस्थित है, जिसके चलते प्रतिदिन औसतन 50 से भी कम आगंतुक ही यहां पहुंचते हैं. सरकार को विश्वास है कि सुव्यवस्थित और आधुनिक संग्रहालय की स्थापना के बाद विजिटर्स की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होगी.
सिंधु घाटी से ब्रिटिश काल तक की विरासत संजोये है गया संग्रहालय
करीब तीन एकड़ भूमि में फैला गया संग्रहालय भारत की ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विरासत का जीवंत प्रतीक है. यहां सिंधु घाटी सभ्यता, मौर्य, गुप्त, कुशान, सल्तनत, मुगल व ब्रिटिश शासन काल की दुर्लभ धरोहरें संग्रहित हैं. संग्रहालय की आठ दीर्घाओं में इन धरोहरों को प्रदर्शित किया गया है, लेकिन रखरखाव के अभाव में कई दीर्घाएं अब जर्जर अवस्था में हैं और कई कक्षों में अमूल्य वस्तुएं बिखरी पड़ी हैं.
1952 में हुई थी स्थापना, उद्देश्य था प्राचीन विरासत का संरक्षण
गया संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1952 में बलदेव प्रसाद द्वारा की गयी थी, जिसे बाद में बिहार सरकार ने अधिग्रहित कर लिया. इसका उद्देश्य गया व आसपास के क्षेत्रों से प्राप्त प्राचीन मूर्तियों, सिक्कों, लेखों और सांस्कृतिक वस्तुओं को संरक्षित कर नयी पीढ़ी को उनके अतीत से जोड़ना रहा है.आकर्षण का केंद्र बनी पिंडदान संस्कार गैलरी, फिर भी उद्घाटन शेष
पिछले दो वर्षों में संग्रहालय में एक नया आयाम जोड़ा गया है. पितृपक्ष मेले की प्रसिद्धि को ध्यान में रखते हुए 50 लाख की लागत से श्राद्ध व पिंडदान संस्कारों पर आधारित एक विशेष गैलरी तैयार की गयी है. इसमें मूर्तियों और चित्रों के माध्यम से इन धार्मिक परंपराओं को दर्शाया गया है. यह गैलरी दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है, लेकिन अब तक इसका विधिवत उद्घाटन नहीं हो पाया है.
नष्ट हो गये दुर्लभ परिधान, संरक्षण पर उठे सवाल
संग्रहालय के पुराने भवन (पंचायती अखाड़ा) में सुरक्षित देश के विभिन्न राज्यों की लोक कलाओं से जुड़े पारंपरिक परिधान अब संग्रह से लुप्त हो चुके हैं. संग्रहालय के डाक बंगला स्थानांतरण के दौरान हुई लापरवाही के कारण कई अमूल्य वस्तुएं नष्ट हो गयीं. यह स्थिति संग्रहालय प्रबंधन की गंभीर उदासीनता को उजागर करती है.क्या कहते हैं संग्रहालय अध्यक्ष
संग्रहालय को सुसज्जित व डेकोरेट करने के लिए राज्य सरकार द्वारा दो करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं. इन रुपये से सभी दीर्घाओं की मरम्मत कराने के बाद धरोहरों को जानकारी के साथ प्रदर्शित किया जायेगा. लॉबी को और अधिक विजुअल बनाया जा रहा है, ताकि दूर से विजिटरों को आकर्षित कर सके. पहले तल को आगे से खोलकर प्रवेश द्वार बनाया जा रहा है. साथ ही पूरे संग्रहालय परिसर को वातानुकूलित भी किया जायेगा, ताकि विजिटरों को यहां घूमने में किसी तरह की परेशानी न हो. तेज गति से साफ सफाई व कंस्ट्रक्शन का काम कराया जा रहा है. अगले दो महीने में गया संग्रहालय की सूरत बदल जायेगी. विजिटरों की संख्या में वृद्धि को लेकर मल्टी प्ले गार्डन बनाया गया है, जो बच्चों व उनके अभिभावकों को काफी आकर्षित कर रहा है.डॉ सुधीर कुमार यादव, संग्रहालय अध्यक्ष, गया संग्रहालयडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है