बोधगया. मगध विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में शनिवार को कक्षा गतिविधि के अंतर्गत दिवाली आधारित कार्ड बनाने की प्रतियोगिता हुई. यह आयोजन विभागाध्यक्ष डॉ शकीला निगार के निर्देशन में संपन्न हुआ. प्रतियोगिता का विषय दिवाली पर उर्दू में रचित कविताएं रखा गया था. कार्यक्रम के दौरान डॉ शकीला निगार ने बताया कि उर्दू भाषा हिंदुस्तान की गंगा-जमुनी तहजीब की अक्कास है. उन्होंने कहा कि उर्दू कवियों ने जहां ईद, शब ए बारात और मुहर्रम जैसे इस्लामी त्योहारों पर कविताएं लिखीं, वहीं, होली, दिवाली व जन्माष्टमी जैसे भारतीय पर्व भी उनकी रचनाओं का अभिन्न हिस्सा रहे हैं. उर्दू में दर्जनों ऐसी कविताएं मौजूद हैं जिनका विषय दिवाली है. उन्होंने विशेष रूप से जनकवि नजीर अकबराबादी का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने अकेले दिवाली पर तीन कविताएं लिखी हैं. इनके अतिरिक्त नजीर बनारसी, हैदर बयाबानी, आफताब रईस पानीपति, मोहम्मद सिद्दीक मुस्लिम, शाद आरफी, आदिल हयात, अबरार कीरतपुरी, अर्श मलसियानी, शातिर हकीमी और चरख चिन्योटी जैसे कवियों ने भी दिवाली पर कविताएं लिखकर हिंदुस्तान की सांस्कृतिक एकता व गंगा-जमुनी तहजीब को और मजबूती दी है. प्रतियोगिता की विशेषता यह रही कि विद्यार्थियों ने हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं में दिवाली पर आधारित कविताएं प्रस्तुत कीं और एक दूसरे को शुभकामनाएं दीं. कार्यक्रम में गजाला इमरान, फतुहन निसा, कश्फी परवीन, सादिया तसनीम, रौशन कोनैन, जेबा नाज, नेहा खानम, नेहा परवीन, मिदहत नाजनीन, खुशनुमा परवीन, खुशबू परवीन, उजमा परवीन व तसनीम खानम ने उत्साहपूर्वक भाग लिया. निर्णायकों ने रचनात्मकता, भाषा की शुद्धता और लेखन की सुंदरता के आधार पर प्रतिभागियों का मूल्यांकन किया. परिणामस्वरूप गजाला परवीन ने प्रथम स्थान, रौशन कोनैन ने द्वितीय स्थान व जेबा नाज ने तृतीय स्थान प्राप्त किया. कार्यक्रम का समापन डॉ शकीला निगार के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ. उन्होंने कहा कि यह प्रतियोगिता न केवल गंगा-जमुनी तहजीब की जड़ों को और प्रगाढ़ करती है, बल्कि विद्यार्थियों में रचनात्मकता व अनुसंधान की भावना को भी प्रोत्साहित करती है.
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