गया : नोटबंदी के बाद बिहार में मची अफरा-तफरी के बीच सरकारी चिकित्सा संस्थानों और अस्पतालों में भी 500 और 1000 रुपये का नोट नहीं लिया जा रहा है. इसी का नतीजा है कि राज्य के गया स्थित अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इलाज के अभाव में एक महिला की मौत हो गयी. उक्त महिला के परिजनों के पास तत्काल 1000 रुपये के कई नोट पड़े थे, जिसे लेने से अस्पताल के डॉक्टरों ने मना कर दिया. अस्पताल के डॉक्टर महिला के परिजनों से 100-100 रुपये के नोट की मांग कर रहे थे.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मेडिकल थाना के ओरमा गांव निवासी गोरा मांझी ने गर्भवती पत्नी को अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्रसूति विभाग मे भर्ती कराया था. प्रसूति विभाग के डाक्टरों ने महिला को किडनी से जुड़ी बीमारी बता तत्काल डायलिसिस कराने की सलाह दी. डॉक्टरों की सलाह पर महिला को अस्पताल के ही निजी कंपनी द्वारा संचालित डायलिसिस विभाग में भर्ती कराया गया.
महिला के परिजनों से इसके लिए 32 सौ रुपये की मांग की गयी. उस समय महिला के परिजनों के पास 500 और 1000 के पुराने नोट थे, जिसे डायलिसिस विभाग के कर्मचारियों ने लेने से मना कर दिया. इसकी सूचना परिजनों ने अस्पताल अधीक्षक सुधीर कुमार सिन्हा को दी. इसके बाद अधीक्षक ने एक आवेदन देने के बाद खुद से फोन कर बात की और डायलिसिस करने का आदेश दिया, मगर जब तक डायलिसिस विभाग के लोग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक की बात पर इलाज शुरू करते, तब तक महिला की मौत हो गयी. डायलिसिस विभाग में 500 और 1000 के नोट को नहीं लेने का पोस्टर भी चिपका कर रखा था. महिला की मौत हो जाने के बाद कर्मचारी डायलिसिस बंद कर भाग गये थे.
सीनियर डायलिसिस टेक्नीशियन आर्यन भट्टाचार्य का कहना है कि महिला की स्थिती नाजुक थी, उसे प्रसूति विभाग से डायलिसिस कराने के लिए लाया गया था. भट्टाचार्य का कहना है कि उनकी कंपनी की ओर से ही पुराने नोट नहीं लेने का आदेश था. मेडिकल कॉलेज में गर्भवती महिला की मौत के बाद उसके परिजनों ने जमकर हंगामा किया. स्थानीय पुलिस के आने के बाद मामले को शांत कराया गया.