लोगों का कहना है कि मेला क्षेत्र का अतिक्रमण कर लिया गया है और वहां असामाजिक तत्वों का दबदबा बढ़ गया है. साथ ही आसपास साप्ताहिक हाट भी लगने लगे हैं जिस कारण पशु व्यापारियों का आना कम हो गया है, यही वजह है कि कोई भी ठेकेदार इसमें दिलचस्पी नहीं ले रहा है. लोगों का तो यह भी कहना है कि मेले के प्रबंधन का जिम्मा ठेकेदार को दिया जाता है लेकिन इसके बावजूद पशु व्यवसायियों को कोई सुविधा नहीं मिलती है, इसलिए भी पशु कारोबारी इस मेले से कन्नी काट रहे हैं.
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भुसुंडा मेले का अस्तित्व खतरे में
गया: कार्तिक मास में लगने वाले सलेमपुर भुसुंडा पशु मेला का अस्तित्व आसपास लगने वाले साप्ताहिक हाट के चलते खतरे में पड़ता दिख रहा है. मेले के दौरान सैरात का बंदोबस्त नगर निगम की ओर से किया जाता है. इस बार कोई भी ठेकेदार मेले की व्यवस्था अपने हाथ में लेने को तैयार नहीं है. […]
गया: कार्तिक मास में लगने वाले सलेमपुर भुसुंडा पशु मेला का अस्तित्व आसपास लगने वाले साप्ताहिक हाट के चलते खतरे में पड़ता दिख रहा है. मेले के दौरान सैरात का बंदोबस्त नगर निगम की ओर से किया जाता है. इस बार कोई भी ठेकेदार मेले की व्यवस्था अपने हाथ में लेने को तैयार नहीं है. नगर निगम की ओर से डाक के लिए 2,31,250 रुपये की बोली तय की गयी है.
नगर निगम के मार्केट प्रभारी दिनकर प्रसाद ने कहा कि मेले का महत्व घटने का मुख्य कारण आसपास के हाट में पशु बाजार लगना है. खिरीयावां व गेरे में इसी समय पशु बाजार लगता है इस कारण ज्यादातर पशु कारोबारी इन बाजारों में चले जाते हैं. नगर निगम ने जिलाधिकारी को एक पत्र लिखकर अपील की है कि आसपास लगने वाले साप्ताहिक हाट को बंद कर दिया जाए ताकि उक्त पशु बाजार का अस्तित्व बचा रहे. यहां पशु मेले का आयोजन 14 नवंबर से 13 दिसंबर तक किया जाता है.
आसपास के साप्ताहिक पशु हाट में ठेकेदारों की ओर से सुरक्षा की गारंटी दी जाती है. इन हाटों में पशु कारोबारियों से बदसलूकी नहीं होती है. शांतिपूर्ण माहौल में इन हाटों में पशुओं की खरीद-फरोख्त होती है. वहीं, सलेमपुर भूसुंडा मेले में व्यावसायियों को की तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, साथ ही सामानों और पशुओं की जिम्मेवारी भी कारोबारियों को ही लेनी पड़ती है, ऐसे में भला कोई क्यों इस मेले जाए?
रामानंद गिरि, पशु व्यवसायी
नगर निगम मेले को जीवित रखना चाहता है तो उसे सबसे पहले मेला क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त कराना होगा. इसके साथ ही मेला क्षेत्र में पेयजल की व्यवस्था करनी होगी. मेले के दौरान पशु व्यावसायियों के जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, तभी कारोबारी यहां आयेंगे.
शिवशंकर प्रसाद, किसान
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