ऐसे में रैनबसेराें की सार्थकता तब ही पूरी हो सकती है, जब इनके संचालन के लिए ईमानदार व मेहनती लोगों को लगाया जाये. पहले की तरह अगर इस बार भी रैनबसेरे यों ही छोड़ दिये गये, तो एक बार फिर बेसहारा व गरीबों को ठिकाना नहीं मिल पायेगा और सरकार की योजना का लाभ सही लोगों को दिलाने में कभी सफलता नहीं मिलेगी. इस योजना को सफल बनाने के लिए महिला स्वयं सहायता समूह के लोगोें को ईमानदारीपूर्वक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना होगा. क्योंकि, ज्यादातर मामलों में सरकारी योजना की हवा कुव्यवस्था के कारण ही निकल जाती है. जरूरतमंदों को इनका लाभ नहीं मिल पाता. उधर, सही लोगों को लाभ दिलाने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर अधिकारी व मॉनीटरिंग करनेवाले इतिश्री कर लेते हैं.
BREAKING NEWS
पहल : कितने कारगर होंगे रैनबसेरे!
गया: शहर में शहरी आजीविका मिशन द्वारा बनाया जा रहे हाइटेक रैनबसेरे क्या गरीब व बेसहारों को सहारा देने में सहायक सिद्ध होंगे, यह तो आनेवाला समय ही बतायेगा. पूर्व के अनुभव को देखा जाये, तो शहर में गरीब व बेसहारा लोगों को आश्रय देने के लिए छह रैनबसेराें का निर्माण कराया गया था. लेकिन, […]
गया: शहर में शहरी आजीविका मिशन द्वारा बनाया जा रहे हाइटेक रैनबसेरे क्या गरीब व बेसहारों को सहारा देने में सहायक सिद्ध होंगे, यह तो आनेवाला समय ही बतायेगा. पूर्व के अनुभव को देखा जाये, तो शहर में गरीब व बेसहारा लोगों को आश्रय देने के लिए छह रैनबसेराें का निर्माण कराया गया था. लेकिन, अब तक एक भी रैनबसेरा गरीब व बेसहारा लोगों के लिए नहीं खोला जा सका.
गांधी मैदान के पास बने रैनबसेराें के आगे टायर पंक्चर बनानेवालों ने, ताे आंबेडकर पार्क के पास बने रैनबसेरे के आगे नौकरी व प्रतियोगी परीक्षाओं के फॉर्म बेचनेवालों ने कब्जा जमा लिया है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement