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पिता की इच्छा पूरी, चार बेटियों ने अरथी को दिया कंधा

पिता की इच्छा पूरी, चार बेटियों ने अरथी को दिया कंधा फोटो-परैया 01-अपने पिता की अरथी को कंधा देतीं संगीता, कलावती, अनीता व रबिता.रालोसपा के प्रदेश महासचिव राघवेंद्र नारायण यादव के पिता का निधनचारों बहनों ने अपने पिता के सोच को दिया मूर्तरूप, समाज को दिखाया आईना समाजसेवी नागेश्वर यादव का था सोच-समाज में बेटों […]

पिता की इच्छा पूरी, चार बेटियों ने अरथी को दिया कंधा फोटो-परैया 01-अपने पिता की अरथी को कंधा देतीं संगीता, कलावती, अनीता व रबिता.रालोसपा के प्रदेश महासचिव राघवेंद्र नारायण यादव के पिता का निधनचारों बहनों ने अपने पिता के सोच को दिया मूर्तरूप, समाज को दिखाया आईना समाजसेवी नागेश्वर यादव का था सोच-समाज में बेटों के समान मिले बेटियों को भी सभी अधिकार प्रतिनिधि, परैया/गुरुआस्थान- चेरकी गांव. दृश्य- चार महिलाएं किसी वृद्ध की अरथी को कंधा देतीं. इस दृश्य को देख कर हर किसी की आंखें जहां नम हो रही थीं, वहीं उन्हें फक्र भी हो रहा था. लोगों में इस नयी परंपरा की चर्चा होती रही. लोग-बाग कह रहे थे- आज शिक्षा के कारण समाज के लोगों के विचार में परिवर्तन आया है. पूछने पर पता चला कि किसी वृद्ध की मौत हो गयी है. वृद्ध की इच्छा के अनुसार चार महिलाओं ने (उनकी बेटियां) उनकी अरथी को कंधा दिया.शवयात्रा में शामिल लोगों ने बताया कि परैया प्रखंड के इटवां निवासी पूर्व जिला पार्षद, चेरकी इंटर कॉलेज के संस्थापक सह रालोसपा के प्रदेश महासचिव राघवेंद्र नारायण यादव के पिता समाजसेवी नागेश्वर यादव की बुधवार को चेरकी स्थित आवास पर हर्ट अटैक से मौत हो गयी. 75 वर्षीय नागेश्वर यादव काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. उनकी चार बेटियां हैं, जिनके नाम संगीता, कलावती, अनीता व रबिता हैं. नागेश्वर यादव का कहना था कि समाज में महिलाओं को वे सभी अधिकार मिले, जिनकी वे हकदार हैं. उनके इसी सोच को उनकी चारों बेटियों ने मूर्तरूप दिया. चारों बेटियों ने न सिर्फ उनकी अरथी को कंधा दिया, बल्कि विष्णुपद श्मशान घाट तक भी गयीं. अपनी चारों बुआ को ऐसा करते देख कर पूर्व जिला पार्षद की बेटी स्नेहलता से भी न रहा गया और वह भी अपने दादा की अंतिम विदाई में शामिल हुईं.नागेश्वर यादव की बेटियों के इस कदम की सराहना करते हुए लोगों ने बताया कि चारों बहनों ने ऐसा कर यह जताने की कोशिश कि समाज में बेटा-बेटी एक समान है. उनमें भेदभाव नहीं होना चाहिए. शादी के बाद बेटियां भले ही परायी हो जाती हैं, लेकिन इससे उनके अधिकार कम नहीं हो जाते हैं. उन्हें भी माता-पिता व अन्य परिजनों की अरथी को कंधा देने का अधिकार है. उनमें भी समाज की रूढ़ियों व बोझिल परंपरा के खिलाफ चलने का जज्बा है. ऐसा कर चारों बहनों ने रूढ़िवादी लोगों व समाज के झंडाबरदारों का मुंह बंद कर दिया है. उनके इस साहसिक कदम से समाज में बेटियों के प्रति एक विशेष सम्मान की भावना उत्पन्न होगी. विष्णुपद श्मशान घाट पर अमित कुमार व मनीष कुमार समेत गुरुआ व परैया प्रखंड क्षेत्रों के सैकड़ों लोग मौजूद थे.

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