उर्दू का बढ़ा है दायरा : कुलपतिबिहार उर्दू अकादमी ने ‘अकादमी आप तक’ कार्यक्रम आयोजित कर तीन उर्दू साहित्यकारों को किया सम्मानितफोटो-संवाददाता, गयामगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मो इश्तियाक ने कहा कि इंडो-आर्यन की जुबान कही जानेवाली संस्कृत भाषा आज आम आदमी की भाषा नहीं बन सकी. क्योंकि, संस्कृत जाननेवाले अपने को उच्च समझते थे. उन्होंने दूसरों के साथ भाषा शेयर नहीं किया. परिणामस्वरूप संस्कृत भाषा का प्रयोग अब केवल शादी-विवाह या धार्मिक अनुष्ठान में ही होता है. ऐसा उर्दू के जानकारों ने तो नहीं किया, लेकिन परिवेश व माहौल के कारण उर्दू में हिंदी, भोजपुरी व अन्य भाषाओं का समावेश हुआ है. ऐसे में धीरे-धीरे उर्दू का जमाना कम हुआ, लेकिन दायरा बढ़ रहा है. जरूरत है ज्यादा से ज्यादा उर्दू के अलफाज की. उन्होंने कहा कि राजनीतिक उपेक्षा के कारण भी उर्दू अकादमी समेत अन्य संस्थानों का समुचित विकास नहीं हो पाने से भी उर्दू पर प्रतिकूल असर पड़ा है. उन्होंने कहा कि शोहरत की परवाह किये बगैर काम करते रहना चाहिए और हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. वह बिहार उर्दू अकादमी द्वारा शनिवार को मिर्जा गालिब कॉलेज के मख्दूम मोहीउद्दीन हॉल में आयोजित ‘अकादमी आप तक’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. इससे पहले उर्दू साहित्यकार व शायर नावक हमजापुरी, फरहत कादरी व शाहिद अहमद शोएब को मेमेंटो, प्रशस्ति पत्र, शाॅल व 21-21 हजार रुपये नकद देकर सम्मानित किया गया.कुलपति की अध्यक्षता में आयोजित सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए डॉ हफीजउर रहमान ने नावक हमजापुरी के जीवन व उनकी उपलब्धियों पर आधारित लेख पढ़ा. इसी प्रकार डॉ अहमद सागीर ने फरहत कादरी के जीवन पर आलेख प्रस्तुत किया. प्रो अफसर जफ्फर ने शाहिद अहमद शोएब के जीवन पर अाधारित लेख पेश किया. समारोह को प्रो महफुजउल हसन, सैयद अहमद कादरी व प्रो हुसैन उल हक ने भी अपनी बात रखी. कार्यक्रम के दूसरे सत्र में मुशायरा का आयोजन किया गया. इसमें फिरदौसी गयावी, मरगूब असर फातमी, बरखा गुप्ता, सदफ इकबाल, तबस्सुम फरहान, एजाज मानपुरी, मुनाजिर हसन शाहीन, नौशाद नारो, सीनएन मुकीन, असलम सैफी, घायल मानपुरी, कमाल खां, मुशताक अहमद नूरी, आदि ने भाग लिया.
उर्दू का बढ़ा है दायरा : कुलपति
उर्दू का बढ़ा है दायरा : कुलपतिबिहार उर्दू अकादमी ने ‘अकादमी आप तक’ कार्यक्रम आयोजित कर तीन उर्दू साहित्यकारों को किया सम्मानितफोटो-संवाददाता, गयामगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मो इश्तियाक ने कहा कि इंडो-आर्यन की जुबान कही जानेवाली संस्कृत भाषा आज आम आदमी की भाषा नहीं बन सकी. क्योंकि, संस्कृत जाननेवाले अपने को उच्च समझते थे. […]
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