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अब तक 10692 घरों में शौचालय बनाने का दिया जा चुका है अनुदान

गया : नगर निगम कार्यालय के आंकड़ाें के अनुसार 53 वार्डों में महज 521 शौचालय बनाने बाकी रह गये हैं. अब तक 10692 घरों में अनुदान देकर शौचालय बनाने का काम पूरा कर लिया गया है. निगम सूत्रों के अनुसार, शहर को कई माह पहले ही फाइल में ओडिएफ घोषित कर दिया गया है. जमीनी […]

गया : नगर निगम कार्यालय के आंकड़ाें के अनुसार 53 वार्डों में महज 521 शौचालय बनाने बाकी रह गये हैं. अब तक 10692 घरों में अनुदान देकर शौचालय बनाने का काम पूरा कर लिया गया है. निगम सूत्रों के अनुसार, शहर को कई माह पहले ही फाइल में ओडिएफ घोषित कर दिया गया है. जमीनी हकीकत इससे बहुत ही अलग है.

इस योजना का लाभ लेने के लिए हर दिन लोग पहुंच रहे हैं व पहले दी गयी योजनाओं के लाभ में की गयी गड़बड़ी की शिकायत हर रोज कार्यालय में पहुंच रही है.
2014 में शुरू किये गये स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय के लिए अनुदान योजना शुरू की गयी थी. शुरू से इस योजना में बड़ी-बड़ी बातें की जा रही थीं. योजना की सफलता के लिए जितनी बात की गयी, उससे कहीं अधिक कुछ दिन बाद से ही लाभुकों के चयन में गड़बड़ी सामने आने लगी.
गड़बड़ी की कलई खुलते ही अधिकारियों ने जांच करना शुरू किया, तो कई जगहों पर बात सामने आयी कि इस योजना का लाभ पहले से शौचालय बने घरों के लाभुक को भी दिया गया है. इसके बाद दर्जनों लोगों को नोटिस दिया गया. 28 लोगों पर निगम को गलत सूचना देकर लाभ देने के मामले में एफआइआर दर्ज किया गया.
हर स्तर पर की गयी गड़बड़ी
शौचालय बनने को लेकर अनुदान के लिए फॉर्म जमा करने के बाद ‘करसंग्रहकर्ता’ इसकी जांच करते थे. उनके रिपोर्ट देने के बाद लाभुक को इस योजना का लाभ दिया जाता था. इतना ही नहीं गड्ढा खुदाई के बाद 7500 रुपये व शौचालय बनाने का काम पूरे होने के बाद 4500 रुपये दिये जाते हैं. शुरू में इस योजना में संविदा पर बहाल सिटी मिशन मैनेजर को लगाया गया.
उनके द्वारा हालात यह किया गया कि दर्जनों लाभुक को इस योजना का लाभ एक ही खाते में दो-दो बार दे दिया. हो-हल्ला होने पर उन्हें इस योजना से हटाया गया. उसके बाद निगम के टैक्स कलेक्टर को इस योजना में रिपोर्ट देने की बात सामने आयी और इसकी जिम्मेदारी दूसरे को दी गयी.
उसके बाद हालात यह रहे कि टैक्स कलेक्टर व निगम में आवास योजना में काम कर रहे कर्मचारियों ने भी अपने नाम पर इस योजना का लाभ ले लिया. इतना ही नहीं निगम में काम कर रहे एक ने पति-पत्नी दोनों के नाम पर इस योजना का लाभ लिया.
पैसा लौटाने में कई लोग कर रहे आनाकानी, दिया गया था नोटिस
गलत ढंग से योजना के अनुदान में मिलनेवाले रुपये लेने व दो बार योजना का पैसा खाते में जाने का का मामला सामने आया था. इन सभी को नोटिस दिया गया था. निगम के टैक्स कलेक्टर अरुण कुमार को भी इस योजना से मिले पैसे को वापस करने की नोटिस दी गयी. इसके साथ ही निगम में काम करनेवाले वार्ड नंबर 24 कीनजीबा खातून व इनके पति के नाम पर इस योजना का लाभ दिया गया.
एक को इस योजना का दोनों किस्त दिया गया है. निगम कर्मचारी के अलावा दर्जनों लोगों ने निगम के नोटिस के बाद भी पैसा वापस करने में रुचि नहीं दिखायी है. निगम प्रशासन का तर्क है कि जिनके पास गलत ढंग से योजना का पैसा गया था, उन्हें वापस करने के लिए तैयार कर लिया गया है. निगम कर्मचारियों के खिलाफ कार्यालय के स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है.
क्या कहते हैं नगर आयुक्त
शहर में 150 जगहों पर सार्वजनिक स्थल पर यूरिनल व शौचालय के लिए टेंडर किया गया है. स्वच्छ भारत मिशन के तहत घरों में शौचालय बनाने के लिए दिये जानेवाले अनुदान में गड़बड़ी की जांच की जा रही है.
इसमें 28 लोगों पर एफआइआर दर्ज करायी गयी है. निगम के कर्मचारी या कोई अन्य स्तर से निगम कार्यालय से जुड़े व्यक्ति ने गलत कर लाभ लिया है, तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जायेगी. किसी भी हाल में सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जायेगी.
सावन कुमार, नगर आयुक्त

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