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शमां रोशन…. ऐसी हालत में बता महफिल बचाऊं या जान… साहित्य महापरिषद ने मनाया मैथिलीशरण गुप्त जयंती समारोह

गया : साहित्य महापरिषद द्वारा अशोक विहार कॉलोनी स्थित महापरिषद के कार्यालय कक्ष में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जयंती समारोह व कवि गोष्ठी सह मुशायरे का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता डॉ राम सिंहासन सिंह ने की. सर्वप्रथम उपस्थित सदस्यों ने मैथिलीशरण गुप्त की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. यह कार्यक्रम दो सत्रों में […]

गया : साहित्य महापरिषद द्वारा अशोक विहार कॉलोनी स्थित महापरिषद के कार्यालय कक्ष में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जयंती समारोह व कवि गोष्ठी सह मुशायरे का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता डॉ राम सिंहासन सिंह ने की. सर्वप्रथम उपस्थित सदस्यों ने मैथिलीशरण गुप्त की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी.
यह कार्यक्रम दो सत्रों में चला. राजीव रंजन ने उन्हें हिंदी साहित्य में भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा ध्वजवाहक कहा. वहीं, डॉ रामसिंहासन सिंह ने उन्हें अपनी लेखनी से जीवनपर्यंत भारत भारती की आरती उतारने वाला सच्चे अर्थों में राष्ट्रकवि कहा. पवित्रता, नैतिकता व परंपरागत मानवीय संबंधों की रक्षा उनके काव्य के प्रथम गुण हैं. दूसरे सत्र में असलम सैफी ने अपनी गजल की प्रस्तुति दी.
उन्होंने गाया, ताकि कातिल भी वजू कर ले, निचोड़ो तो सही इसलिए हमने भिंगोया है कफन पानी में, नौशाद नादां ने गया शमां रोशन होते ही परवाने आखिर आ गये, ऐसी हालत में बता महफिल बचाऊं या जान, इसके अलावा कुमार कांत, खालिक हुसैन परदेसी, सुरेंद्र पांडेय सौरभ, फिरदौस गयाबी, सुल्तान अहमद, राजीव रंजन, कन्हैया लाल मेहरवार, राम सिंहासन सिंह, नंदकिशोर सिंह, हरिशंकर मिश्र, घनश्याम अवस्थी सहित करीब डेढ़ दर्जन कवियों ने अपनी रचनाएं पढ़ीं.

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