सामाजिक कार्यकर्ता महेश शर्मा का दावा
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लंबे समय से चल रहा दवाओं की खरीद में हेरफेर
सामाजिक कार्यकर्ता महेश शर्मा का दावा कहा-2003 से हो दवाओं के खरीद और वितरण की जांच करोड़ों रुपये का हेरफेर आ सकता है सामने गया : सेंट्रल ड्रग स्टोर में वित्तीय वर्ष 2015-16 में दवाओं की खरीद में एक करोड़ रुपये के घोटाले ने व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है. सामाजिक कार्यकर्ता महेश शर्मा […]
कहा-2003 से हो दवाओं के खरीद और वितरण की जांच
करोड़ों रुपये का हेरफेर आ सकता है सामने
गया : सेंट्रल ड्रग स्टोर में वित्तीय वर्ष 2015-16 में दवाओं की खरीद में एक करोड़ रुपये के घोटाले ने व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है. सामाजिक कार्यकर्ता महेश शर्मा ने दावा किया है कि स्टोर में इस तरह का घोटाला लंबे समय से चल रहा है. उन्होंने कहा कि 2003 से लेकर अब तक हर वित्तीय वर्ष में दवाओं की खरीद व वितरण की जांच होनी चाहिए. एक वित्तीय वर्ष की जांच में जब एक करोड़ रुपये की गड़बड़ी सामने आयी है तो निश्चित तौर पर 2003 से जांच शुरू हुई तो करोड़ों रुपये का हेरफेर सामने आ सकता है. उन्होंने कहा कि इस विषय पर लंबे समय से वह शिकायत करते आ रहे हैं, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर अनदेखी की जाती रही है.
गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में जय प्रकाश नारायण अस्पताल स्थित सेंट्रल ड्रग स्टोर में दवाओं की खरीद और वितरण को लेकर अनियमतता सामने आयी थी. जांच के बाद पता चला कि वित्तीय वर्ष 2015-16 में गलत तरीके से 1,10,16,202 रुपये की दवाएं खरीदी गयी. इनका प्रयोग भी नहीं हुआ परिणाम स्वरूप लगभग 49 लाख की दवाएं एक्सपायर हो गयी. अब इस मामले में डीएम के स्तर पर निगरानी विभाग जांच करेगी.
लंबे समय से चल रही है गड़बड़ी : महेश शर्मा ने इस मामले में नौ जून 2016 को जिलाधिकारी के पास शिकायत दर्ज करायी थी. इसमें उन्होंने कहा था कि सिविल सर्जन व अन्य वरीय पदाधिकारियों ने मिल कर दवाओं के खरीद में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी की है. उन्होंने कहा कि नियमों के मुताबिक दवाओं की खरीद टेंडर के माध्यम से ही की जानी चाहिए. लेकिन वित्तीय वर्ष 2010-11 के टेंडर और तय दर पर लगातार 2014-15 तक दवाओं की खरीद की गयी. 2015-16 में खरीद के लिए टेंडर निकाला गया,
लेेकिन उसकी प्रक्रिया को पूरी नहीं की गयी. पहले के ही रेट पर खुद और कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपये की दवा खरीद ली गयी. ऐसी गड़बड़ी लंबे समय से चल रही है. श्री शर्मा ने कहा कि उनकी शिकायत पर तत्कालीन जिलाधिकारी ने जांच की जिम्मेदारी डीडीसी को दी, लेकिन उन्होंने इस शिकायत को ही निराधार करार दे दिया. श्री शर्मा ने कहा कि इसके बाद ही उन्होंने इस मामले की जांच निगरानी से कराने के लिए लोकायुक्त के पास शिकायत दर्ज करायी जो आज तक पेंडिंग है.
दवाओं के वितरण में भी गड़बड़ी : श्री शर्मा ने दवाओं के वितरण पर भी आपत्ति जतायी थी. अपनी शिकायत में उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा किसी भी अस्पताल में आउटडोर और इनडोर में दी जाने वाली दवाओं की सूची तय होती है. लेकिन जिले के अस्पतालों में इस सूची से बाहर के दवाओं की खरीद और वितरण किया जा रहा है. इनडोर के लिए प्रयोग की जाने वाली दवाओं का प्रयाेग आउटडोर तक में किया जाता है. कई बार बिना दवा के आपूर्ति के ही लाखों रुपये का अग्रिम भुगतान भी किया गया. इन विषयों पर गंभीरता से जांच हो तो क्लर्क से लेकर कई वरीय पदाधिकारियों के नाम सामने आ जायेंगे.
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