बोधगया : मगध विश्वविद्यालय के सिंडिकेट ने गुरुवार को निर्णय लिया कि बिहार सरकार द्वारा जिन 58 निजी महाविद्यालयों का संबंद्धन अस्वीकृत किया गया है, इन काॅलेजोें के माध्यम से विश्वविद्यालय में परीक्षा फॉर्म स्वीकार नहीं किये जायेंगे. हालांकि, छात्रों के हित को देखते हुए उनकी परीक्षा आयोजित कराने के विश्वविद्यालय के निर्णय की सराहना भी की गयी व इसके लिए वैसे छात्रों की पूर्ण विवरणी, नामांकन व निबंधन के प्रमाण सहित उनके आधार कार्ड की संख्या कॉलेजों द्वारा उपलब्ध कराने को कहा गया है.
उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा संबंद्धन देने से मना कर दिये गये कॉलेजों के माध्यम से स्नातक पार्ट-टू का परीक्षा फॉर्म जमा लेने से मगध विश्वविद्यालय द्वारा इनकार कर दिये जाने के बाद वैसे कॉलेजों के एक संघ द्वारा इस मामले को लेकर नाराजगी जतायी गयी है. इनके द्वारा प्रदर्शन भी किया जा रहा है. गुरुवार को भी महाविद्यालय संबंद्धन संघ द्वारा एमयू मुख्यालय पर धरना दिया गया व परीक्षा फॉर्म जमा कराने की मांग भी दुहरायी गयी. इसके आलोक में गुरुवार को कुलपति प्रो कमर अहसन की अध्यक्षता में कुलपति के आवासीय कार्यालय में सिंडिकेट की विशेष बैठक बुलायी गयी व सरकार के निर्णय पर एमयू प्रशासन द्वारा अमल किये जाने को लेकर विचार- विमर्श किया गया. बैठक में सर्वसम्मति से संबंद्धन अस्वीकृत किये गये कॉलेजों के माध्यम से परीक्षा फॉर्म स्वीकार नहीं किये जाने व उक्त कॉलेजों के स्टूडेंट्स का सीधे मगध विश्वविद्यालय मुख्यालय में ही परीक्षा फॉर्म जमा कराने व परीक्षा लिये जाने की स्वीकृति प्रदान की गयी.
बैठक में अन्य कई मसलों पर भी प्रस्ताव पारित किये गये. इनमें अंगीभूत व स्व-वित्तपोषी महाविद्यालयों में चलनेवाले वोकेशनल कोर्सों के संचालन में एकरूपता लाने व विसंगतियों को दूर करने के लिए विश्वविद्यालय की नीति को स्वीकार करने पर सहमति प्रदान की गयी. इसमें अधिकतम सीटों की संख्या व अधिकतम शिक्षण शुल्क की सीमा भी तय की गयी है.
हालांकि, प्रतिकुलपति प्रो केएन पासवान की अध्यक्षता में एक कमेटी भी गठित की गयी है, जो यह जांच करेगी कि उपरोक्त 58 निजी कॉलेजों के संबंद्धन को राज्य सरकार द्वारा अस्वीकृत किये जाने के पीछे कैसी-कैसी कमियां जिम्मेवार रही हैं. सिंडिकेट की बैठक में पीएचइडी सह विधि मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा (जो गया जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं), प्रतिकुलपति प्रो केएन पासवान सहित सिंडिकेट के 10 सदस्य शामिल हुए. इस दौरान बीएड व एमएड कोर्सों को लेकर भी निर्णय लिये गये. एमयू के कुलसचिव प्रो एनके शास्त्री ने बताया कि बोधगया के शाक्यमुनि कॉलेज में वित्तीय अनियमितता को लेकर भी चर्चा हुई.