Darbhanga News: दरभंगा. अगले पंचांग वर्ष में विवाह के लिए मुहूर्त 45 दिन बन रहे हैं. इस साल आषाढ़ में खत्म हो रहे साल 2025 के जून में लग्न समाप्त हो रहा है. इसके बाद साल के अंत में नवंबर से पुन: शहनाई गूंजेगी. वैसे तो नवंबर से अगले साल 2026 के जून तक सभी महीने में विवाह के लिए मुहूर्त है, लेकिन सर्वाधिक लग्न फरवरी महीने में है. फरवरी में नौ दिन मुहूर्त है. सबसे कम जनवरी में मात्र एक दिन लग्न है. उल्लेखनीय है कि यह निर्णय रविवार को पंडित सभा में शास्त्र सम्मत तिथियों पर विमर्श के बाद लिया गया. वहीं गृह प्रवेश के लिए 26 दिन तो गृहारंभ के लिए 28 दिन मुहूर्त उत्तम है. सभा में उपनयन, द्विरागमन एवं मुंडन के लिए भी मुहूर्त पर विचार किया गया. ज्योतिष शोध केंद्र के निदेशक सह सचिव पंडित विश्वनाथ झा शास्त्री ने बताया कि पंडितो की हुई सभा में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि वर्ष 2026 में दो जुलाई से 12 जुलाई तक सौराठ सभा का आयोजन होगा.
विवाह के दिन
नवंबर 2025- 20, 21, 23, 24, 26, 27 व 30दिसंबर- 01, 04, 05, 07 प 08जनवरी 2026- 29फरवरी- 05, 06, 08, 15, 19, 20, 22, 25 व 26
मार्च- 04, 09, 11 व 13अप्रैल- 17, 20, 26 व 30मई- 01, 06 08, 10 व 13जून- 19, 24, 25, 26, 28 व 29
जुलाई- 01, 02, 03, 06, 09 व 12द्विरागमन के दिन
नवंबर 2025- 21, 23, 24, 26, 27 व 28
दिसंबर- 01, 04, 05, 07 व 08फरवरी 2026- 18, 19, 20, 22, 25, 26 व 27मार्च- 01, 04, 05, 06 व 08
अप्रैल- 20, 23, 24 व 30मई- 01, 03, 04 व 06मुंडन के दिन
नवंबर 2025- 21 व 27दिसंबर- 01जनवरी 2026- 21, 23, 28 व 29फरवरी- 06, 20, 26 व 27मार्च- 05 व 06अप्रैल- 20, 23 व 29मई- 04
जून- 17, 24 व 25 कोजुलाई- 01, 02, 03 व 15गृहारंभ के दिन
अगस्त 2025- 06, 08, 09, 11 व 13अक्तूबर- 31नवंबर- 01, 03, 05, 07 व 08दिसंबर- 01 व 04जनवरी 2026- 29फरवरी- 27 व 28मार्च- 04, 05 व 06
मई- 01, 04 व 06जून- 25 व 29जुलाई- 01, 02, 03 व 04गृहप्रवेश के दिन
जुलाई 2025- 30 व 31अगस्त- 04, 06 व 08अक्तूबर- 31नवंबर- 01, 03, 26 व 27दिसंबर- 01
जनवरी 2026- 28, 29 व 30फरवरी- 25, 26, 27 व 28अप्रैल- 23, 27, 29 व 30जून- 24, 25, 26 व 27
पंचांगों के एकरूपता को लेकर घंटों चला विचार मंथन
मिथिला सहित प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से प्रकाशित होनेवाले पंचांगों के व्रत-त्योहार के साथ लग्न की तिथियों में एकरूपता रखने के लिए अखिल भारतीय मैथिल महासभा भवन बलभद्रपुर में हुई पंडित सभा में घंटों विचार मंथन होता रहा. शास्त्रीय आधार पर अंतिम निर्णय लिया गया. संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय की अध्यक्षता में वर्ष 2025-2026 के लिए हुई इस पंडित सभा में विश्वविद्यालय पंचांग, विद्यापति पंचांग, वैदेही पंचांग, महावीर पंचांग, गोपी कृष्ण मिथिला पंचांग तथा सर्वमंगला पंचांग के पंचांगकार सहित मिथिला के विभिन्न क्षेत्र से आए हुए विद्वान शामिल हुए. इसमें पूर्व कुलपति सह विवि पंचांग के पंचांगकार प्रो. रामचंद्र झा, शिवेंद्र झा, देवकी नंदन झा, अजय मिश्र, मुक्ति कुमार झा, सुमनजी झा, प्रो. शशिनाथ झा, भुवनेश्वर मिश्र, डॉ राजनाथ झा, हरेंद्र किशोर झा, डॉ घनश्याम झा, डॉ धनेश्वर झा, डॉ गोविंद झा, डॉ कुणाल कुमार झा, डॉ राकेश कुमार झा, डॉ वरुण कुमार झा, वैद्यनाथ चौधरी आदि प्रमुख थे. विद्वत जनों के गहन विचार-विमर्श के उपरांत सभी पंचांगकारों ने अपने-अपने पंचांग के विविध पर्व त्यौहार एवं लग्न मुहूर्तों में एकरूपता रखने का निर्णय लिया. यहां बता दें कि पंचांग वर्ष सावन मास से आरंभ होता है जो आषाढ़ मास में खत्म होता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है