Darbhanga News: कमतौल. तीर्थस्थल अहल्यास्थान स्थित राम औतार गौतम संस्कृत महाविद्यालय में मंगलवार को प्रधानाचार्य डॉ बिकाऊ झा की अध्यक्षता में संस्कृत सप्ताह का समापन समारोह का आयोजन किया गया. मंच संचालन एनएसएस के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ सुभाष चंद्र प्रसाद ने किया. समारोह में उपस्थित लोगों ने विद्या की देवी मां सरस्वती के चरणों में पुष्प अर्पित किया. धर्मशास्त्र के सहायक प्राध्यापक डॉ इंद्रेश कुमार झा के नेतृत्व में सरस्वती वंदना व मंगलाचरण पाठ से समारोह का शुभारंभ हुआ. सहायक प्राध्यापिका डॉ रानी कुमारी ने स्वागत गीत, छात्रा राज नंदनी ने गुरु की छाया में शरण जो पा गया जैसे गीत से समारोह में चार चांद लगा दिया. कार्यक्रम के संयोजक डॉ सुभाष चन्द्र प्रसाद ने एक सप्ताह तक चलने वाले कार्यक्रम संस्कृत नाम दैवी वाक्, प्राच्य विद्या में संस्कृत के महत्व, लोकोपयोगी एवं आयुर्वेदिक ज्ञान परंपरा में संस्कृत की महता, दैनंदिन जीवन में संस्कृत की उपयोगिता के बारे में जानकारी दी. अध्यक्षीय संबोधन में प्रधानाचार्य डॉ बिकाऊ झा ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक पहचान पूरी दुनिया में है तो उनमें से एक संस्कृत भाषा भी है. इसे देव भाषा भी कहा जाता है, क्योंकि इसको भगवान ब्रह्माजी ने उत्पन्न किया था. वेदों की रचना भी इसी भाषा में की गयी है, क्योंकि यह शुद्धता का भी प्रमाण है. इसके आंचल से ही हिन्दी, पाली, प्राकृत आदि कई भाषाएं विकसित हुई हैं, यह भाषा संस्कृति की तरह व्यापक है. अनेक वेद, उपनिषद, वेदांग आदि की विषयवस्तु संस्कृत में ही वर्णित है. संस्कृत भाषा हिन्दू, जैन, बौद्ध और सिख धर्म में संचार का पारंपरिक साधन रहा है. संस्कृत साहित्य को प्राचीन कविता, नाटक व विज्ञान के साथ-साथ धार्मिक और दार्शनिक ग्रंथों में इस्तेमाल होने विशेषाधिकार प्राप्त है.
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