Darbhanga News: बहादुरपुर. राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र में मंगलवार को राष्ट्रीय मखाना महोत्सव का आयोजन किया गया. इसमें देश के विभिन्न प्रांतों से सैकड़ों किसान, उद्यमी, वैज्ञानिक व विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम की शुरूआत आइसीएआर नयी दिल्ली के उपमहानिदेशक डॉ एसएन झा, शेर-ए कश्मीर कृषि विज्ञान व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कश्मीर के कुलपति प्रो. नजीर अहमद गनई, केंद्र के निदेशक डॉ नचिकेत कोतवाली वाले, आइटीसी लिमिटेड के क्षेत्रीय प्रबंधक रवि बंसल, सीफेट लुधियाना के प्रधान वैज्ञानिक डॉ आरके विश्वकर्मा व केवीके जाले के अध्यक्ष डॉ दिव्यांशु शेखर द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया. स्वागत भाषण में डॉ नचिकेत कोतवाली वाले ने केंद्र की उपलब्धियां गिनायी. बताया कि केंद्र द्वारा किए गए अनुसंधान व प्रसार कार्यों ने मखाना के राष्ट्रीय विस्तार में अहम भूमिका निभायी है. वहीं मुख्य अतिथि प्रो. गनइ ने कहा कि आज बिहार का मखाना उतना ही लोकप्रिय है, जितना कश्मीर का सेब. इसमें अपार आर्थिक संभावनाएं हैं. कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ एसएन झा ने कहा कि मखाना उद्योग के विकास में यांत्रिकीकरण की भूमिका अत्यंत आवश्यक है. मखाना और मैथिली दोनों के व्यापक प्रयोग व प्रचार पर उन्होंने बल दिया.
महोत्सव का प्रमुख आकर्षण मखाना एवं जलीय फसलों पर आधारित प्रदर्शनी रहा, इसमें नवीन तकनीक और मूल्यवर्धित उत्पाद प्रदर्शित किये गये. साथ ही विकसित भारत के लिए मखाना उत्पादन एवं प्रसंस्करण की रणनीति विषय पर राष्ट्रीय विचार गोष्ठी भी आयोजित की गयी. इसमें विशेषज्ञों ने मखाना क्षेत्र के भविष्य, अनुसंधान दिशा और औद्योगिक संभावनाओं पर विमर्श किया. यह आयोजन आइसीएआर सीफेट लुधियाना तथा आइटीसी लिमिटेड (मिशन सुनहरा कल) व सर्वसेवा समिति संस्था के सहयोग से संपन्न हुआ. संचालन वैज्ञानिक डॉ मनोज कुमार व धन्यवाद ज्ञापन प्रधान वैज्ञानिक डॉ आइएस सिंह ने किया. मौके पर जिले के विभिन्न प्रखंडों के मखाना उत्पादन करने वाले प्रगतिशील किसान मौजूद थे.जलीय फसलों के उत्पादन, प्रसंस्करण व मूल्य संवर्द्धन के लिए संस्थानों के बीच हुआ अहम करार
बहादुरपुर. आइसीएआर राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र (आइसीएआर-एनआरसीएम) बिहार और शेर ए कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कश्मीर (एसकेयूएएसटी) के बीच मंगलवार को एक अहम समझौते पर हस्ताक्षर किया गया. बताया जााता है कि यह जलीय फसलों के उत्पादन, प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा. इस समझौता पर औपचारिक रूप से आइसीएआर-एनआरसीएम के निदेशक डॉ नचिकेत कोतवाल वाले और एसकेयूएएसटी कश्मीर के कुलपति प्रो. नजीर अहमद गनई ने उपमहानिदेशक आइसीएआर नई दिल्ली डॉ एसएन झा और एनआरसी फॉर मखाना दरभंगा, सीआइपीएचइटी लुधियाना और एसकेयूएएसटी कश्मीर के विभिन्न वैज्ञानिकों की उपस्थिति में हस्ताक्षर किया गया. यह समझौता मखाना, कमल और सिंघाड़ा जैसी पोषण संबंधी, औषधीय और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण जलीय फसलों से संबंधित विविध विषयों के साथ-साथ दोनों संस्थानों के अधिदेशों से जुड़े अन्य क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान के अवसर खोलेगा. इस रणनीतिक साझेदारी का उद्देश्य शैक्षणिक प्रशिक्षण, अनुसंधान और क्षमता निर्माण पहलों के लिए छात्रों, शिक्षकों और विद्वानों के आदान-प्रदान को सुगम बनाकर अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना है. यह सहयोग उन्नत अनुसंधान को साझा करने में सक्षम बनाएगा. दोनों संस्थानों के बीच चल रहे और भविष्य के अनुसंधान कार्यक्रमों की गुणवत्ता और प्रभाव को बढ़ाने के लिए उपकरण सुविधाओं और वैज्ञानिक विशेषज्ञता का समन्वय किया जाएगा. जलीय फसल अनुसंधान में आदसीएआर-एनआरसीएम की राष्ट्रीय विशेषज्ञता और पहाड़ी एवं पर्वतीय कृषि में एसकेयूएएसटी की मजबूत नींव को मिलाकर यह साझेदारी उत्तर-पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में नवाचार, सतत कृषि विकास और उद्यमिता को बढ़ावा देने का लक्ष्य है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

