Darbhanga News: दरभंगा. लनामिवि के पीजी मनोविज्ञान विभाग में “सोशल मीडिया और मानसिक स्वास्थ्य ” विषय पर विभागाध्यक्ष प्रो. मनसा कुमारी सुल्तानिया की अध्यक्षता में संगोष्ठी हुई. इसमें पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के सेवानिवृत शिक्षक प्रो. तारणी ने सोशल मीडिया की चर्चा करते हुए कहा कि समाज में यह व्यापक तौर पर फैल गया है. इसे समाज के बड़े हिस्से द्वारा लोकाचार के तौर पर स्वीकार किया जा रहा है. कई उदाहरण देकर बताया कि सोशल मीडिया जहां एक तरफ हमारी आचरण में बड़े बदलाव ला रही है. वहीं लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डाल रही है. प्रो. तारणी ने बताया कि सोशल मीडिया खासकर किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए नकारात्मक साबित हो रही है. हालांकि, विवेकपूर्ण और संयमित इस्तेमाल से सोशल मीडिया उपयोगी साबित हो सकती है. प्रो. सुल्तानिया ने कहा कि सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभाव पर शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े लोगों द्वारा व्यापक चर्चा जरूरी है. विभिन्न मीडिया रिपोर्टों और नए शोध अध्ययन यह दर्शाता है कि अवसाद और चिंता जैसे मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बच्चे और किशोर में तेजी से बढ़ रही है, जो लोग प्रतिदिन तीन घंटे से अधिक सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं, उनमें अवसाद और चिंता के लक्षण अनुभव होने की संभावना दोगुनी होती है. इसकी रोकथाम के लिए परिवार और शैक्षणिक संस्थानों को तेजी से पहल करना जरूरी बताया. पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. ध्रुव कुमार ने कहा कि सोशल मीडिया का उपयोग मस्तिष्क के भावनाओं और सीखने से संबंधित भागों पर प्रभाव डाल सकता है. अतः इसके उपयोग को लेकर सतर्क और संयमित होना चाहिए. प्रो. अनीस अहमद ने कहा कि सोशल मीडिया का उपयोग आवेग नियंत्रण, सामाजिक व्यवहार, सामाजिक पुरस्कार और दंड के प्रति संवेदनशीलता को प्रभावित कर सकता है. सेवानिवृत शिक्षक प्रो. आइके राय ने सोशल मीडिया के उपयोग का समय सीमा निर्धारित हो. अमृत कुमार झा ने कहा कि सोशल मीडिया साइबर अपराध का अड्डा बन कर सामने आया है. यह कई नई चुनौतियों को जन्म दे सकता है. रोहित कुमार सिंह, प्रेमचंद प्रसाद, अमन कुमार, संजीव कुमार आदि कार्यक्रम में मौजूद थे.
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