Darbhanga News: दरभंगा. मअ रमेश्वरलता संस्कृत महाविद्यालय में पोथी घर फाउंडेशन व महाविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में परंपरागत तरीके से रविवार को द्वादश व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया. इस दौरान रागतरंगिणी : इतिहासक स्रोत विषयक षष्ठम व्याख्यान डॉ शंकरदेव झा ने दिया. अध्यक्षता इतिहासकार डॉ अवनींद्र कुमार झा ने की. डॉ प्रमोद कुमार मिश्र ने अतिथियों को सम्मानित किया गया. डॉ झा ने कल्हण की राजतरंगिणी व लोचन की रागतरंगिणी में मूलभूत अन्तर स्पष्ट करते हुए कहा कि रागतरंगिणी मध्यकालीन मिथिला के इतिहास के गूढ़ रहस्यों से पर्दा उठाती है. यद्यपि यह संगीत शास्त्रीय ग्रंथ है, लेकिन प्रकारांतर से यह मध्यकालीन मिथिला की राजनीतिक स्थिति, उस कालखंड के प्रशंसकों की कलाप्रियता, आपसी प्रतिस्पर्धा समेत राजनीतिक शह-मात पर भी प्रकाश डालता है. प्रश्नोत्तरी में प्रकाश कुमार, नन्द कुमार, सुमित कुमार आदि ने अपनी जिज्ञासा रखी. अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ झा ने कहा कि जिस प्रकार भारतीय परिपेक्ष्य में ऐतिहासिक अध्ययन करने के लिए अष्टाध्यायी, महाभाष्य, कामसूत्र व अर्थशास्त्र का अध्ययन करना अनिवार्य है, उसी प्रकार मध्यकालीन मिथिला के विविधताओं को समझने के लिए रागतरंगिणी का अध्ययन जरूरी है. फाउंडेशन की अध्यक्षा गुड़िया झा ने वक्ता व नितेश कुमार झा के द्वारा अध्यक्ष को पोथी उपहार स्वरूप प्रदान किया गया. संचालन आशुतोष मिश्र और धन्यवाद ज्ञापन फाउण्डेशन के सचिव आनंद मोहन झा ने किया.
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