Darbhanga News: कमतौल. भादो महीने की अमावस्या तिथि को कुशोत्पाटिनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन का सनातन धर्म में विशेष महत्व है. यह दिन मुख्य रूप से धार्मिक और श्राद्ध आदि कार्यों में काम आने वाले कुश उखाड़ने के लिए समर्पित है. इसके कारण इसे कुशोत्पाटिनी यानी कुश को उखाड़ने वाली अमावस्या भी कहा जाता है. आचार्य श्याम कुमार शास्त्री ने बताया कि मिथिलावासियों के लिए यह दिन बेहद खास होता है. इस दिन धार्मिक अनुष्ठानों, श्राद्ध आदि कर्मकांडों के लिए पूरे साल उपयोग होने वाली कुश को विधिपूर्वक उखाड़ा जाता है. मान्यता है कि इस दिन उखाड़े गये कुश सबसे शुद्ध और पवित्र होता है. साथ ही यह दिन पितरों को भी समर्पित है. इस दिन श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पितर प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. जिन लोगों की कुंडली में पितृदोष होता है, उनके लिए यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. इस दिन किए गए उपाय पितृदोष के अशुभ प्रभावों को कम करते हैं. आचार्य ने बताया कि इस वर्ष 22 अगस्त शनिवार को कुश उखाड़ा जाएगा. इसे संरक्षित कर साल भर प्रयोग करने के लिए रखा जाएगा.
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