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धान की रोपनी की लागत भी डूब जाने की किसानों को सताने लगी चिंता

बारिश नहीं होने से किसान काफी परेशानी में हैं.

बहेड़ी. क्षेत्र में इस वर्ष आद्रा के अन्त में व पुनर्वसु नक्षत्र के प्रारंभ में हुई वर्षा के बाद किसानों ने धान की रोपनी तो कर ली, परंतु उसके बाद से बारिश नहीं होने से किसान काफी परेशानी में हैं. बता दें कि प्रखंड के लिए धान आच्छादन के निर्धारित लक्ष्य 91.31 हजार हेक्टेयर में किसानों ने महज 70 प्रतिशत भूमि में धान की रोपनी पूरी की है. मौसम की दगाबाजी के कारण धान के पौधे सूख रहे हैं. खेत में नमी के अभाव व तपती धूप के कारण दरारें पड़ गयी हैं. धान के झुलसे पौधों को देख किसानों को चिन्ता सता रही है. उन्हें इस बात का मलाल है कि कुछ दिनों बाद वर्षा होने पर फिर से रोपनी के लिए बिचड़ा भी उपलब्ध नहीं हो सकता. परिणामस्वरूप धान की फसल लगाने में लागत लग जाने के बाद भी उत्पादन से वंचित रह जाना पड़ेगा. जिन किसानों के पास सिंचाई का अपना साधन उपलब्ध है, उन्हें उत्पादन में थोड़ी कम परेशानी है, परंतु जिन्हें अपना साधन नहीं है, फसल उत्पादन करना उनके बस से बाहर की बात होती जा रही है. 150 रुपये प्रति घंटा निजी नलकूप वाले लेते हैं. एक घंटा में मुश्किल से एक से डेढ़ कट्ठा जमीन की पटवन हो पाती है. इसे लेकर पघारी के किसानों ने लघु जल संसाधन विभाग के मंत्री, जिलाधिकारी व लघु जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता से प्रखंड के बन्द पड़े सभी राजकीय नलकूपों व उद्धवह सिंचाई योजनाओं को चालू कराने की दिशा में आवश्यक कार्रवाई किये जाने की मांग की है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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