Darbhanga News: दरभंगा. श्रीरामसुन्दर संस्कृत विश्वविद्या प्रतिष्ठान रमौली आदर्श संस्कृत महाविद्यालय बेनीपुर में भारतीय ज्ञान परम्परायां समत्वसंस्कृति: विषय पर बुधवार को संगोष्ठी हुई. इसमें कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पाण्डेय ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में समत्व के विषय में विपुलता से ज्ञान भरा हुआ है. इससे समाज को अवगत कराना है. संस्कृत भाषा एवं शास्त्र के माध्यम से समाज के सभी वर्गों में समभाव जागृत करना होगा. छात्रों को परस्पर संस्कृत में संभाषण् करने का संकल्प दिलाया.
समत्व संस्कृति समानता और न्याय की भावना को करता प्रोत्साहित- प्रो. दिलीप
संगोष्ठी में ऑनलाइन जुड़े काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के डॉ प्रियव्रत मिश्र ने उपनिषद्, पुराण, गीता आदि का उद्धरण देते हुए व्याख्यान दिया. ऑनलाइन नेपाल से जुड़ी प्रो. कल्पना कुमारी झा ने भी समत्व के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया. प्रो. दयानाथ झा एवं डॉ रामसेवक झा ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में समत्व संस्कृति न केवल व्यक्तिगत उन्नति के लिए अपितु सामाजिक सद्भाव और विश्व शांति के लिए भी अत्यंत आवश्यक है. पीजी धर्मशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. दिलीप कुमार झा ने कहा कि समत्व संस्कृति समाज में समानता और न्याय की भावना को प्रोत्साहित करता है. केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली से प्रो. कुलदीप शर्मा, लखनऊ परिसर से प्रो. श्यामदेव मिश्र भी विचार रखे.
गीता, वेद और उपनिषद जैसे ग्रंथ हमें दिखाते समत्व का मार्ग- प्रो. लक्ष्मीनाथ
प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष प्रो. अर्कनाथ चौधरी ने शिक्षा, नीति-निर्माण और समाज कल्याण में समत्व की भावना को प्रमुखता दिये जाने पर बल दिया. अध्यक्षता करते हुए प्रो. लक्ष्मीनाथ झा ने कहा कि गीता, वेद और उपनिषद जैसे ग्रंथ हमें समत्व का मार्ग दिखाते हैं. अतिथियों का स्वागत करते हुए डॉ कामेश्वर चौधरी ने कहा कि समाज में कहीं भेदभाव नहीं रहे, सभी के हृदय में समत्व की भावना हो. संगोष्ठी में डॉ आशुतोष झा, डॉ कृष्ण कान्त पाण्डेय, डॉ सुमन्त कुमार दास, डॉ अमित कुमार चन्द्राना, डॉ माधुरी राय, डॉ चंद्रकृष्ण मिश्र, लक्ष्मी नारायण मिश्र, मुरारी कान्त झा आदि मौजूद थे. संचालन डॉ पुष्कर आनंद ने किया.
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