Darbhanga News: बहादुरपुर. आम व लीची के लिए अभी का मौसम अनुकूल है. इस वर्ष आम व लीची के पेड़ में मंजर भी जमकर आये हैं. प्रकृति का साथ मिला तो अच्छी पैदावार होगी. हालांकि जिले में लीची की खेती नहीं के बराबर होती है. वहीं आम की उपज अच्छी-खासी होती है. इधर मंजर आने के साथ आम व लीची पर कीटों का प्रकोप भी शुरू हो गया है. लिहाजा किसानों की चिंता बढ़ने लगी है. आम के मंजर पर मधुआ कीट (मैगी हापर), दहिया कीट (मिलीबग), पाउडरी मिल्ड्यू व एन्थथीक जैसे कीट-व्याधि का आक्रमण मुख्य रूप से होता है. वैज्ञानिकों ने किसानों से बागों को साफ रखने व गर्मी के मौसम में बागों की गहरी जुताई करने की सलाह दी है.
बचाव केे लिए करें ये उपाय
वैज्ञानिकों का कहना है कि मंजर की धुलाई करने से कीट से फसल को बचाया जा सकता है. वहीं इमिडाक्लोरोपिड दवा एक एमएल प्रति लीटर पानी में घोलकर स्प्रे मशीन से छिड़काव करने, तथा क्लोरोपाइरी फोंस पल्स सीपर मेथ्रीन दो एमएल प्रति लीटर पानी में घोलकर मंजर की धुलाई करने की सलाह दी है. बताया कि इससे मधुआ कीट का प्रकोप समाप्त हो जाता है. वैज्ञानिकों ने रासायनिक प्रबंधन के लिए कीटनाशक व साफ फफूंदनाशी को मिलाकर तीन छिड़काव करने तथा डाइमेथोएट, डाइथेम-45 व माइक्रो नामक दवा का दो एमएल प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करने की बात कही. बताया कि सरसों के आकार से बड़ा दाना होने पर कीटनाशक-फफूंदनाशक दोनों दवा का प्रयोग करना चाहिए, तीन लीटर पानी में एमिडाक्लोप्रिड दवा का प्रयोग करने से आम व लीची के फलन पर किसी प्रकार का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है. मई-जून में इससे अधिक तापमान होने पर फलन पर एक एमएल दवा मिलाकर स्प्रे करना चाहिए, वहीं दो ग्राम प्रति लीटर की दर से फफूंदनाशक का प्रयोग करना चाहिए, लीची के अच्छे उत्पादन के लिए नमी का ध्यान रखना बेहद जरूरी है.उद्यान विभाग से प्राप्त आंकड़े के अनुसार जिले के 18 प्रखंडों में आम की खेती करीब आठ हजार 782.93 हेक्टेयर व लीची 190.80 हेक्टेयर में की जाती है.
प्रखंड आम लीची (हेक्टेयर में)
बहेड़ी 1159. 29 4.20
सिंघवारा 520.88 7.70जाले 748. 16 15
बहादुरपुर 707 37हनुमाननगर 724.48 6.30
हायाघाट 515.20 5.20सदर 48.3 7
घनश्यामपुर 498.72 4.20मनीगाछी 835.52 5.20
तारडीह 572. 60 6कुशेश्वरस्थान 48 4.20
कुस्थान पूर्वी 48 4.20बेनीपुर 208.48 4.20
केवटी 948. 92 10.80अलीनगर 280 15
गौराबौराम 293.20 7.20कहते हैं सहायक निदेशक
सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण शाहिद जमाल ने बताया कि मंजर के समय बूंदा-बांदी हो जाने पर घुलनशील सलकर, कार्बेन्डाजिम या हेक्साकोनाजोल का छिड़काव करना आवश्यक है. दहिया कीट नियंत्रण के लिए कीटनाशी के तैयार घोल में कोई स्टीकर अवश्य मिला दें. फल व मंजर गिरने से बचाने के लिए दूसरे व तीसरे छिड़काव में कीटनाशक के तैयार घोल के साथ अल्फा नेपयाइल एसिटिक एसिड 45 प्रतिशत एसएल का चार मिलीलीटर प्रति नौ लीटर पानी की दर से व्यवहार करना चाहिए. दूसरे छिड़काव में 80 धुपु का तीन ग्राम पतिलीटर घोल की दर से मिलाकर छिड़काव करना लाभप्रद होगा. अलका नेपथाइल एसिटिक एसिड 45 प्रतिशत एसएल का छिड़काव निर्धारित मात्रा से अधिक होने पर फल गिर जाते हैं. लीची की फसल में कीट-व्याधि लगने पर नीम के तेल का छिड़काव करना जरूरी होता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है