Darbhanga News: दरभंगा. मिथिला का विशिष्ट लोकपर्व सामा-चकेवा बुधवार को प्रतिमा विसर्जन के साथ संपन्न हो गया. नम आंखों से बहनों ने भगवती सामा को विदा किया. भाइयों ने प्रतिमा को जल प्रवाहित किया. कहीं-कहीं खेत में प्रतिमा को विसर्जित किया गया. इसे लेकर सुबह से बहनों के चेहरे उदास नजर आ रहे थे. उल्लेखनीय है कि वनस्पति संरक्षण, जंगलों की सुरक्षा व मेहमान पक्षियों के संरक्षण का संदेश देनेवाले लोकपर्व सामा-चकेवा को लेकर छठ पर्व के समय से ही घरों में विशेष चहल-पहल नजर आ रही थी. बहनों ने भगवती सामा की प्रतिमा लाकर नित्य उनका विधिवत पूजन किया करती थी. शाम ढलते ही बहनों की टोली घरों से बाहर निकल पारंपरिक गीतों का गायन करते हुए दूसरों की चुगली करनेवाले चुगला को जलाती थी. इधर जैसे-जैसे सामा की विदाई का वक्त निकट आने लगा, बहनों के चेहरे पर उदासी के भाव गहरे होने लगे. उनकी विदाई के लिए नये वस्त्र, धन-धान्य देने के लिए पेटी, पेटार आदि बनाने में जुट गयी. शुक्रवार की शाम धान आदि से भगवती का खोइंछा भरकर समृद्धि की कामना के साथ भाइयों का फांड़ भरा. इसके बाद उनकी विदाई यात्रा प्रारंभ हुई. सिर पर सामा का डाला लेकर भाई निकले और निकट के जलाशय या खेत में परंपरानुरूप विसर्जन किया. इस दौरान विदाई गीत समदाउन के कारुणिक स्वर से वातावरण गमगीन हो उठा. बहनों के गले रूंध गये. गीली पलकों से अगने साल पुन: आने की कामना के साथ भगवती सामा को विदा किया.
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