Darbhanga News: सिंहवाड़ा. सत्संग व कथा श्रवण का अवसर सौभाग्य से प्राप्त होता है. हर किसी को इस पुण्य का अवसर नहीं मिलता. जिनपर ईश्वर की असीम कृपा होती है, उन्हें ही यह अवसर मिलता है. ये बातें रामपुरा चौबे टोल स्थित बुढ़बा बाबा मंदिर प्रांगण में श्रीराम कथा ज्ञान गंगा के दौरान सातवें दिन मंगलवार को अयोध्या के कथावाचक छोटे बापूजी ने कही. उन्होंने कहा कि जहां कथा हो रही है, वहां के भी सभी लोग नहीं आ पाते हैं. क्योंकि उनपर शायद ईश्वर की कृपा नहीं होती है. उन्होंने कहा कि राजा दशरथ से धोखे से श्रवण की मौत हो गयी थी. इसे लेकर श्रवण के दिव्यांग माता-पिता ने राजा दशरथ को श्राप दिया था कि आज मैं जिस तरह पुत्र के वियोग में तड़प-तड़पकर प्राण त्याग रहा हूं, ठीक उसी तरह तुम भी पुत्र के वियोग में एक दिन मरोगे. इस श्राप से राजा दशरथ काफी दुखी रहने लगे. हालांकि उन्हें एक बात की खुशी थी कि इनका श्राप झूठा नहीं होगा. मुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी. संतान नहीं होने के कारण ही उन्होंने तीन शादियां की थी. कथावाचक ने कहा कि जब मनुष्य को बड़ी विपत्ति आती है तो कहते हैं कि भगवान हमसे नाराज हैं. हम पूजा-पाठ करते हैं. यह जान लें कि ईश्वर कभी अमंगल नहीं करते, क्योंकि वे अमंगलकारी हैं. इस दौरान रामजी की निकली सवारी, रामजी की लीला है न्यारी सरीखे भजनों पर पर श्रद्धालू झूमते रहे.
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