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Darbhanga News: मेडिटेशन से जीवन की कठिनाइयों को हद तक किया जा सकता दूर

Darbhanga News:दरभंगा मेडिकल कॉलेज परिसर में आयोजित ऑब्स एवं गाइनेकोलॉजिकल समिति के सिल्वर जुबली समारोह का आज समापन हो गया.

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Darbhanga News: दरभंगा. दरभंगा मेडिकल कॉलेज परिसर में आयोजित ऑब्स एवं गाइनेकोलॉजिकल समिति के सिल्वर जुबली समारोह का आज समापन हो गया. दूसरे दिन की शुरुआत जबलपुर से आई ब्रह्मा कुमारी की प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ पुष्पा पांडे के द्वारा राजयोग मेडिटेशन द्वारा जीवन की कठिनाइयों को दूर करने की बात कही. उन्होंने पहलगाम के आतंकवादी आक्रमण के कारण शहीद हुए लेफ्टिनेंट की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया. डॉ श्रीमती पांडे ने कहा की कभी छोटे गोल मत रखें. जितना बड़ा गोल रखोगे तुम्हे उतनी ही ज्यादा कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी. वहीं वैज्ञानिक सत्र में 40 से अधिक व्याख्यान और एक पैनल डिस्कशन हुआ. पैनल डिस्कशन में स्त्री जननांगों के कैंसर को गंभीर रोग को रोकने के लिए स्क्रीनिंग को प्रभावी बनाने पर चर्चा हुई. पैनल में भाग लेने वालों में प्रमुख डॉ प्रियंका सर्राफ, डॉ शशि प्रभा, धनबाद से आई डॉ नेहा, डॉ मोनालीसा, डॉ शिल्पी नारायण, डॉ कुमारी शिल्पा, डॉ बबीता, डॉ शारिक बेदा और डॉ निशा थी. वहीं संगीत कार्यक्रम में डॉ शशि प्रभा द्वारा गाया गया दमादम मस्त कलंदर गाना ने सभी का मन मोह लिया.

मां व बच्चे की जान की रक्षा बड़ी जिम्मेदारी

कार्यक्रम के दौरान डॉ ओम प्रकाश ने कहा कि प्रसूति रोग विशेषज्ञ वो पहले हाथ है, जिसमें हर नए जीवन को आना है और वे उनकी जीवन की अंतिम आशा है. उन पर बड़ी जिम्मेदारी है कि किसी मुसीबत को आने के पहले पहचान कर सही समय पर उचित इलाज करें, चाहे वह गर्भावस्था से पहले हो, गर्भावस्था में हो, प्रसव के दौरान हो या नवजात के जन्म लेने के बाद हो. उन्होंने कहा कि गर्भावस्था से जिंदगी के 22 वे सप्ताह के बाद से और जन्म के पहले सप्ताह तक को पेरीनिटोलॉजी में कवर किया जाता है. सभी प्रसूति रोग विशेषज्ञों को इस समय होने वाली बीमारियों की पहचान और निदान को सीखना चाहिए. उन्हें गर्भ के शिशु के दिल के धड़कनों को पहचानना, मां की इक्लेम्सिया या अन्य बीमारियों को समय पर उचित इलाज कराना, बच्चों को सांस लेने में होने वाली दिक्कत को नवजात पुनर्जीवन प्रक्रिया से पुनर्जीवित करना शामिल है.

स्त्री जननांगों से संबंधित बीमारी के बावत दी गयी जानकारी

स्त्री के जननांगों से संबंधित विभिन्न बीमारियों पर चर्चा में डॉ रूही यासमीन, डॉ पूजा महासेठ, डॉ मधुमिता, डॉ मनीषा, डॉ हिमांशी हार्डी, डॉ पूनम सिंह, डॉ शशि प्रभा, डॉ अंकुर राय एवं डॉ बबीता सिंह प्रमुख थी. लेक्चर थिएटर की वक्ताओं में कुमारी शिल्पा, डॉ सुप्रिया नारायण, डॉ विभा झा, भागलपुर की अरुणाचल झा, डॉ अर्चना भारती, डॉ कविता वर्णवाल, डॉ मिनी आनंद डॉ कल्याणी, डॉ नीलम सिन्हा, डॉ रीना, डॉ सुनीता, डॉ भव्या झा, डॉ उषा रानी, डॉ अलका मिश्रा, डॉ वर्मा, डॉ साज़िया नूर, डॉ वसुधा रानी, डॉ पूनम कुमारी मिश्रा शामिल थी. इन सत्रों में गर्भावस्था के दौरान खून की कमी, गर्भावस्था में टीकाकरण, सिजेरियन के बाद भी योनी द्वार से प्रसव आदि विषयों पर चर्चा हुई.

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