Darbhanga News: सदर. कार्तिक पूर्णिमा पर कमला नदी के गौसाघाट में बुधवार को आस्था और श्रद्धा का जनसैलाब उमड़ पड़ा. हजारों श्रद्धालुओं ने नदी के पवित्र जल में आस्था की डुबकी लगाये. हर वर्ष की तरह इस बार भी मेला, धार्मिक और लोक परंपराओं के अद्भुत संगम का साक्षी बना. नि:संतान दंपतियों के लिए प्रसिद्ध इस मेले में बिहार समेत झारखंड, उत्तर प्रदेश एवं पड़ोसी देश नेपाल से भी काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. अहले सुबह से ही नदी तट पर महिलाएं और पुरुष श्रद्धालु, स्नान व पूजा-अर्चना में लीन दिखे.
गोद भरने की कामना के साथ आते नि:संतान दंपति
यह मेला नि:संतान दंपतियों की मनोकामना पूर्ण होने को लेकर प्रसिद्ध है. परंपरा के अनुसार महिलाएं सबसे पहले जीबछघाट में स्नान करती हैं. वहां से “गठजोड़” कर पति के साथ तीन किलोमीटर की पैदल यात्रा कर गौसाघाट पहुंचते हैं. माना जाता है कि यह यात्रा पति-पत्नी के अटूट संबंध और संतान प्राप्ति की कामना का प्रतीक है. गौसाघाट पहुंचने के बाद श्रद्धालु दंपति कमला नदी में स्नान करते हैं. स्नान के दौरान पानी में जो वस्तु मिलता है, उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण दंपति ग्रहण करते हैं.
मेले में होता “कोखिया गुहार”
इस मेले में “कोखिया गुहार” भी खूब होता है. निसंतान दंपति को ओझा इस वर्ष भी काेखिया गुहार कराये. वहीं ओझाओं ने परंपरागत तरीके से पीड़ित लोगों के शरीर पर से बुरी छाया हटाने को लेकर भगतइ की. ढोल-मंजीरे की गूंज और जय कमला मैया के जयकारों से पूरा घाट गुंजायमान रहा. मैया की पूजा के लिए श्रद्धालुओं ने बकरा, कबूतर और पैसे नदी में अर्पित किए. मान्यता है कि ऐसा करने से मैया प्रसन्न होती हैं और मनोकामना पूर्ण करती हैं.
लोगों ने उठाया मेले का खूब मजा
मौके पर गौसाघाट में मेला भी खूब सजा था. खिलौने, पूजन सामग्री, मिठाई और स्थानीय व्यंजनों की दुकानों पर लंबी कतारें रही. बच्चों के लिए झूले लगे थे.
सुरक्षा के थे कड़े इंतजाम
मेले में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. पुलिस बल का पुख्ता प्रबंध था. मेडिकल कैंप लगाया गया था. लाउडस्पीकर से श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन किया जा रहा था. कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने श्रद्धालुओं के लिये नि:शुल्क पेयजल और प्राथमिक उपचार की सुविधा उपलब्ध करा रखी थी.
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