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डीएमसीएच में सरकारी योजना फेल

डीएमसीएच में सरकारी योजना फेल ड्राइवर की कमी से सड़ रहा 20 लाख का शव वाहनहाल डीएमसीएच की व्यवस्था काफोटो संख्या- 16परिचय- डीएमसीएच कैंपस में पड़ा शव वाहन. दरभंगा. डीएमसीएच में मरीजों की लाभकारी योजनाएं फेल होते रहती है. ओपीडी परिसर में करीब तीन साल से बेकार पड़े 20 लाख के शव वाहन इसका नजारा […]

डीएमसीएच में सरकारी योजना फेल ड्राइवर की कमी से सड़ रहा 20 लाख का शव वाहनहाल डीएमसीएच की व्यवस्था काफोटो संख्या- 16परिचय- डीएमसीएच कैंपस में पड़ा शव वाहन. दरभंगा. डीएमसीएच में मरीजों की लाभकारी योजनाएं फेल होते रहती है. ओपीडी परिसर में करीब तीन साल से बेकार पड़े 20 लाख के शव वाहन इसका नजारा दिखा रहा है. धूप और पानी में आसमान के नीचे वाहन सड़ रहा है. सरकार ने शव को ले जाने के लिए ऐसे दो वाहनों का यहां पुख्ता इंतजाम किया था, ताकि गरीब परिजनों को जेब ढीली नहीं करना पड़े. लेकिन इसका हाल यह है कि इन सालों में डेढ़ दर्जन शव की भी ढुलाई नहीं हो सकी. इसका नतीजा यह हुआ कि यह वाहन खुद शव बनकर रह गया है. सरकार ने 2012 में दो वाहनों को यहां आपूर्ति की थी. इस वाहन की आपूर्ति के लिए टॉल फ्री नंबर 1099 तय किया गया था. इसके जरिये परिजन तय स्थानों पर शव वाहन को मंगाकर अपने गंतव्य स्थान पर ले जा सके. इसके लिए सरकारी दर पर अस्पताल अधीक्षक कार्यालय में राशि जमा का प्रावधान है. इसकी दर 9 रुपये प्रति किलोमीटर है. इस वाहन के अन्य फायदे यह हैं कि गरीबी रेखा से नीचे के मरीज के शव लाल या पीला कार्ड दिखाने पर मुफ्त सेवा देने का प्रावधान है. इसके अलावा सड़क दुर्घटना में हुई मौत के शव को अस्पताल अधीक्षक के दिशा निर्देश पर भी ले जाने का इंतजाम है. लेकिन इस लाभकारी योजना पर ग्रहण लग गया है. कारण निजी एम्बुलेंस वाहन मालिकों का डीएमसीएच पर कब्जा है. जानकारी के अनुसार निजी वाहन संचालक मृतक के परिजनों को अपने झांसे में लेकर शव को ऊंची दर पर वाहन पर लादकर ले जाते हैं. इसको लेकर धीरे-धीरे सरकार का यह वाहन दम तोड़ दिया. उधर शव वाहन के ड्राइवर की भी भारी कमी है. इसके चलते भी यह वाहन ठप हो गया. इधर अस्पताल अधीक्षक डॉ एसके मिश्रा ने बताया कि ड्राइवर के अभाव में यह वाहन ठप है. इसकी आपूर्ति राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से पीपीपी प्रोग्राम के तहत किया गया था. वह एजेंसी ने काम छोड़ दिया. तब से यह वाहन जस का तस पड़ा हुआ है.

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