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शहरी जलापूर्ति योजना में पीएचइडी पर होगी प्राथमिकी

शहरी जलापूर्ति योजना में पीएचइडी पर होगी प्राथमिकीखर्च 30 करोड़, पानी एक बूंद भी नहीं पीएचइडी एवं किर्लोस्कर एंड ब्रदर्स हैं जिम्मेदार77 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाने का था काम8 वर्षों से चल रहा काम, नहीं पूरी हुई योजना मार्गदर्शन के लिए नगर आयुक्त ने विभागीय सचिव को भेजा पत्र फोटो संख्या- 07 व 08परिचय- लालबाग […]

शहरी जलापूर्ति योजना में पीएचइडी पर होगी प्राथमिकीखर्च 30 करोड़, पानी एक बूंद भी नहीं पीएचइडी एवं किर्लोस्कर एंड ब्रदर्स हैं जिम्मेदार77 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाने का था काम8 वर्षों से चल रहा काम, नहीं पूरी हुई योजना मार्गदर्शन के लिए नगर आयुक्त ने विभागीय सचिव को भेजा पत्र फोटो संख्या- 07 व 08परिचय- लालबाग में बने जलमीनार व टावर चौक के निकट मजार के पास रखी पाइप. प्रतिनिधि, दरभंगाशहरी जलापूर्ति योजना में विगत 8 वर्षों में करीब 30 करोड़ की राशि खर्च होने के बावजूद कार्य पूरा नहीं होने को अब बरदाश्त नहीं किया जायेगा. इसे लेकर कार्य एजेंसी पीएचइडी के खिलाफ प्राथमिकी तथा योजनाओं की जांच निगरानी से कराने को लेकर नगर आयुक्त नागेंद्र कुमार सिंह ने नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव से मार्गदर्शन देने का अनुरोध किया है. ज्ञात हो कि करीब चार माह पूर्व 5 अगस्त को निगम बोर्ड की बैठक में सर्वसम्मति से कार्य एजेंसी पीएचइडी एवं योजना के अभिकर्ता मेसर्स किर्लोस्कर प्राइवेट लिमिटेड के कार्यों की जांच निगरानी विभाग से कराने तथा उक्त दोनों पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्णय लिया गया था. चार महीने बाद निगम बोर्ड की तिथि निर्धारित होने पर नगर निगम प्रशासन ने उक्त निर्णय के आलोक में अपने विभागीय सचिव से मंतव्य मांगा है, ताकि अागे की कार्रवाई की जा सके. यह है मामलाविभागीय सूत्रों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2006-07 से वर्ष 2012-13 तक नगर निगम ने पीएचइडी को जलापूर्ति मद में 29 करोड़ 86 लाख 25 हजार 500 रुपये उपलब्ध कराया है. उक्त योजना की जो निविदा शर्त है, उसमें योजना क्रियान्वयन एवं संचालन का दायित्व पीएचइडी को है. इस मुतल्लिक विगत छह वर्षों में लगातार पत्राचार एवं मौखिक वार्ता के बावजूद उनकी कार्य में अपेक्षित प्रगति नहीं दिखा. जानकारी के अनुसार शहरी जलापूर्ति योजना मद में फेज-1 के लिए राज्य योजना मद से अबतक 3 करोड़, 1.50 करोड़, 1 करोड़ 64 लाख 2 हजार 064 एवं 73 लाख 58 हजार 500 रुपये अर्थात कुल 8 करोड़ 73 लाख 58 हजार 500 रुपये दिये गये हैं. इसी तरह फेज-2 के लिए 12वें वित्त से 4 करोड़, 12 करोड़ 32 लाख 38 हजार, 4 करोड़ 80 लाख 29 हजार अर्थात कुल 22 करोड़ 84 लाख 9 हजार रुपये पीएचइडी को दिया जा चुका है. जानकारी के अनुसार फेज-1 एवं 2 में 11 पंप हाउस, 8 जलमीनार एवं 77 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाना था, इसके तहत लक्ष्मीसागर, रायसाहेब पोखरा के निकट, मिल्लत कॉलेज के निकट, पीएचइडी कार्यालय परिसर, नगर निगम गोदाम परिसर, हराही तालाब के पश्चिमी ओर, सैदनगर एवं जिला स्कूल के निकट कुल 8 जलमीनार का निर्माण करना है. करीब एक वर्ष पूर्व सभी जलमीनारों को तो खड़ा कर दिया गया लेकिन जलापूर्ति के लिए पाइप लाइन बिछाने का काम एक भी योजना में पूरा नहीं हो सका है. इस मुतल्लिक जिला प्रशासन, नगर निगम प्रशासन ने कार्य एजेंसी पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता एवं योजना के अभिकर्ता मेसर्स किर्लोस्कर एंड ब्रदर्स लिमिटेड कोलकाता को भी बैठक में बुलाकर शीघ्र योजनाओं को पूरा करने का निर्देश दिया. लेकिन बार-बार महज आश्वासन के अलावा कार्य में अपेक्षित प्रगति नहीं देख निगम बोर्ड ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया. इसे अनुपालन के लिए नगर आयुक्त ने पत्र भेजा है. बॉक्स::::::::::::::::::::::::प्रति व्यक्ति मिल रहा मात्र तीन लीटर पानी 2011 के जनगणना के अनुसार शहरी क्षेत्र की जनसंख्या 2,94,116 है. वर्तमान में 4.6 लाख गैलन सुबह एवं उतनी ही मात्रा में शाम में जलापूर्ति होती है. उक्त जलापूर्ति को देखने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि आबादी के अनुरूप लगभग 3 लीटर पानी प्रति व्यक्ति सरकार की ओर से दी जा रही है. सूत्रों के अनुसार करीब सात माह पूर्व नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीना ने नगर आयुक्त को पत्र भेजकर जलापूर्ति एवं सेनिटेशन की जानकारी मांगी थी. पत्र में विभागीय सचिव ने बताया था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मिशन मानव विकास में जलापूर्ति पहली शर्त है. इसीलिए जलापूर्ति संबंधी लक्ष्य को शत-प्रतिशत पूरा करने का उन्होंने निर्देश दिया था. करीब सात महीने बाद नगर निगम प्रशासन अपने विभागीय अधिकारी एवं निगम बोर्ड के निर्णय के प्रति साकांक्ष हुआ है. अब देखना है कि विभागीय अधिकारी इसपर क्या जवाब देते हैं. ज्ञात हो कि गत 5 अगस्त को निगम बोर्ड की बैठक में पीएचइडी एवं किर्लोस्कर एंड ब्रदर्स पर कार्रवाई का निर्णय एवं योजनाओं की जांच निगरानी से कराने का निर्णय लिया गया था. इसके बाद विधानसभा चुनाव के कारण अधिकारीगण उसमें व्यस्त रहे तथा आदर्श आचार संहिता के कारण निगम बोर्ड की बैठक भी नहीं हुई. आगामी 5 दिसंबर को निगम बोर्ड की बैठक होने वाली है. इसीलिए बैठक में लिये गये निर्णय को अनुपालन दिखाना भी उस पत्र को माना जा रहा है. अब देखना है कि पांच दिसंबर को बोर्ड की बैठक में पार्षद इसे किस रूप में लेते हैं.

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