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दुर्गा सप्तशती के पाठ व भजन-कीर्तन से भक्तिमय हुआ वातावरण

कमतौल : शारदीय नवरात्र में पूजा पंडालों एवं मंदिरों में सुबह-शाम पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. आरती के बाद श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण किया जा रहा है. सुबह की अपेक्षा संध्या काल पूजा पंडालों में महाआरती में बड़ी संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं. अहले सुबह से […]

कमतौल : शारदीय नवरात्र में पूजा पंडालों एवं मंदिरों में सुबह-शाम पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. आरती के बाद श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण किया जा रहा है. सुबह की अपेक्षा संध्या काल पूजा पंडालों में महाआरती में बड़ी संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं.

अहले सुबह से देर शाम तक ध्वनि विस्तारक यंत्रों से दुर्गा सप्तशती के मंत्र-गूंजने लगते हैं. वहीं पूजन स्थलों पर शाम में आयोजित हो रहे भजन-कीर्तन से माहौल देर रात तक भक्तिमय बना रहता है.मंगलवार को तीसरे दिन माता के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा-अर्चना की गयी. आचार्य डॉ संजय कुमार चौधरी ने बताया कि मां चंद्रघंटा की कृपा से अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं. दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है. विविध प्रकार की दिव्य ध्वनियां सुनाई देती हैं.

यह क्षण साधक के लिए अत्यंत सावधान रहने का होता है. नवरात्र के चौथे दिन विधि-विधान से मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना की जायेगी. कहा कि जो भक्त दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर सकते वे दुर्गा सप्तश्लोकी का पाठ करें. इसमें कुल सात श्लोक है. इसके पाठ करने से दुर्गा सप्तशती पाठ के बराबर फल प्राप्त होता है. मां अपने भक्तों का कल्याण करती हैं और बुद्धि प्रदान करती हैं. दुख, दद्रिता एवं भय को हर लेती हैं.

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