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मैनेजिंग, डीलिंग और थाने में चलती थी सौदेबाजी!

बेतिया : यूं तो जिले के अमूमन सभी थानों में भ्रष्टाचार की शिकायतों की भरमार है, लेकिन शहर से सटे और पुलिस मुख्यालय से महज एक किमी सटे बानुछापर ओपी में जमकर सौदेंबाजी होती थी. मामला पकड़ में आने के बाद से यहां मैनेजिंग शुरू हो जाता था. सिपाही मैनेजिंग करते थे और फिर डीलिंग […]

बेतिया : यूं तो जिले के अमूमन सभी थानों में भ्रष्टाचार की शिकायतों की भरमार है, लेकिन शहर से सटे और पुलिस मुख्यालय से महज एक किमी सटे बानुछापर ओपी में जमकर सौदेंबाजी होती थी.

मामला पकड़ में आने के बाद से यहां मैनेजिंग शुरू हो जाता था. सिपाही मैनेजिंग करते थे और फिर डीलिंग होती थी, अंत में सौदेंबाजी तय हो जाने पर लेन-देन चलता था. इसका खुलासा शुक्रवार को उस समय हुआ जब 50 हजार रूपये रिश्वत लेते बानुछापर ओपी प्रभारी याकुब अली अंसारी गिरफ्तार हुआ.
करीब दो साल से बानुछापर ओपी की कमान संभाल रहे याकुब के कार्यकाल में रिश्वतखोरी चरम पर पहुंच गई थी. लेकिन, इसकी भनक उच्चाधिकारियों तक नहीं पहुंच सकी. नाम न छापने के शर्त पर ओपी के एक सिपाही ने बताया कि ज्यादातर शराब के मामले में सौंदेबाजी होती थी.
शराब के मामले आते ही यहां पर मैनेजिंग शुरू हो जाता था. इसके लिए कम से 50 हजार लिया जाता था. इतना ही नहीं यहां आवेदन के लिए भी पैसे लिये जाते थे. चरित्र प्रमाण पत्र, सनहा आदि के लिए भी अवैध वसूली यहां चलती थी. पासपोर्ट वेरीफिकेशन के लिए भी 1500 रुपया लिया जाता था. रिश्वतखोरी का यह सिलसिला चलता रहा. नतीजा मन बढ़ता गया. सूत्रों के अनुसार, छठ घाट पर नशे में हगामा करते पकड़े गये रंजन के मामले में भी पहले सौदेंबाजी करने की तैयारी थी. चूंकि रंजन की सूचना शहर के लोगों ने दी थी. ऐसे में पुलिस को मजबूरन रंजन को जेल भेजना पड़ा, लेकिन दारोगा ने यहां से भी रिश्वत वसूली का तरीका ढुढ़ लिया. नतीजा मौके से मिली रंजन की कार को जब्त नहीं दर्शाया गया और गैर कानूनी रूप से कार को थाने में रखवा दिया गया.
इधर, जब रंजन जमानत पर आने के बाद कार लेने पहुंचा तो दारोगा ने उससे 50 हजार रिश्वत की मांग कर ली.
भ्रष्टाचार
बानुछापर ओपी में काफी दिनों से चल रहा लेन-देन का खेल, सुर्खियों में थे प्रभारी दारोगा याकूब
शराब के मामलों में भी होती थी सौदेबाजी, तय था रेट
जुलाई में लौरिया थाने से पकड़ा गया था दारोगा
जिले के पुलिस थानों में घुसखोरी की जड़ें इतनी गहरी हो गई है कि दारोगाओं के लगातार गिरफ्तार होने का मामला सामने आ रहा है. बीते जुलाई माह में ही 18 तारीख को लौरिया थाना में तैनात दारोगा इबरार अहमद निगरानी विभाग के हत्थे चढ़ा था. यह भी थाना परिसर में ही दहेज मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर रिश्वत ले रहा था. इसके पूर्व कालीबाग ओपी का दारोगा उमेश भी निगरानी के हाथ आ चुका है.

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