सिकरहना,मोतिहारी : ढाका के पड़री गांव में 28 दिसंबर को घटित रोड़ेबाजी व मारपीट की घटना के बाद एक बारगी शांति के बीच सुलग रही थी बदले की आग. बदले की आग को पुलिस समझ नहीं पायी और कैंप हटा ली. इधर पुलिस कैंप हटते की अगले दिन एक जनवरी को फिर फायरिंग, पथराव, तोड़फोड़ व आगजनी की घटना हुई.
दर्जन भर लोग घायल हुए. लेकिन घटना के करीब 48 घंटे बाद तक किसी ने ढाका थाने में प्राथमिकी दर्ज नहीं करायी, जिसके कारण ढाका पुलिस ने स्वयं के बयान पर प्राथमिकी दर्ज कर 20 नामजद व 100 अज्ञात पर केस दर्ज किया है. आश्चर्य की बात यह है कि 28 दिसंबर को भी फायरिंग व मारपीट की घटना मुखिया समर्थक व विरोधी गुट के बीच हुई, लेकिन उस दिन भी किसी पक्ष ने प्राथमिकी दर्ज न करायी. संभवत: पुलिस भी स्थिति शांत व पंचायती की प्रक्रिया देख चुप हो गयी. कहते है कि 28 दिसंबर को पुलिस स्वयं के या चौकीदार के बयान पर प्राथमिकी दर्ज कर गिरफ्तारी करती तो एक जनवरी के घटना की पुनरावृत्ति न होती. इधर जानकार सूत्रों का कहना है कि पंचायत हो या विधानसभा, लोक सभा चुनाव पड़री दो खेमों में बंट जाती है.
एक का नेतृत्व मुखिया अख्तर मुन्ना तो दूसरे का फिरोज खान का गुट करता है. दोनों गुट को दो दलों के स्थायी कदावर नेताओं का समर्थन है. ऐसे में इस घटना कर जड़ कहीं न कहीं राजनीति से भी जुड़े हो सकती है नेता चाहे जो हो. स्थानीय प्रबुद्धजनों की माने तो शांति पसंद लोगों के साथ नेता लोग भी शांति के प्रयास में है. लेकिन दोनों गुट में वर्चस्व की लड़ाई शांति में बाधक बन रही है. वैसे पूर्व की घटनाओं पर नजर डाले तो वर्चस्व के लिए कई घटनाएं उक्त गांव में हो चुकी है. पूछने पर इंस्पेक्टर राकेश कुमार ने बताया कि स्थिति शांत व नियंत्रण में है.