शराबबंदी. रक्सौल के कौड़िहार इलाके में मकान की नींव के नीचे छुपायी जा रही शराब
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सेब की पेटी में हो रही शराब की तस्करी!
शराबबंदी. रक्सौल के कौड़िहार इलाके में मकान की नींव के नीचे छुपायी जा रही शराब प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के कारण सीमाई इलाके में शराबबंदी असरदायक नहीं हो रही है. नेपाल में तो शराब मिल ही जा रही है थोड़ी मेहनत के बाद रक्सौल में भी शराब मिल जाती है. इससे शराबियों पर शराबबंदी का […]
प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के कारण सीमाई इलाके में शराबबंदी असरदायक नहीं हो रही है. नेपाल में तो शराब मिल ही जा रही है थोड़ी मेहनत के बाद रक्सौल में भी शराब मिल जाती है. इससे शराबियों पर शराबबंदी का किसी तरह का असर नहीं है.
रक्सौल : राज्य में शराबबंदी लागू होने के बाद यह उम्मीद जगी थी कि शराब पर पूर्णत: रोक लग जायेगी, लेकिन सरकार के द्वारा की गयी शराबबंदी रक्सौल में कुछ असर नहीं दिखा पा रही है.
शराबियों को नेपाल में आसानी से शराब उपलब्ध हो रही है तो थोड़ी परेशानी का सामना करने के बाद रक्सौल में भी शराब मिल जा रही है. शहर से सटे कौड़िहार के इलाकों में इन दिनों अवैध शराब का धंधा खूब फल फूल रहा है. सूत्रों की माने तो कौड़िहार गांव की ओर जाने वाली सड़क में पड़ने कई निर्माणाधीन मकान के नीचे शराब छुपाने का काम चल रहा है.
निर्माणाधीन घर होने के कारण लोगों का शक भी नहीं जा रहा है और काम आसानी के साथ हो जा रहा है. ऐसा नहीं है कि कमजोर वर्ग के लोग इस काम के पीछे है. सूत्रों की माने तो इसमें कई ऐसे नामी गिरामी चेहरे भी शामिल हैं, जिनके लगानी में अवैध शराब का धंधा चल रहा है. घर के नींव के नीचे ऊपर से ईंट डालकर नीचे शराब का काम किया जा रहा है. यह दायरा केवल कौड़िहार तक ही नहीं है, शहर में और भी कई जगह इसके सुराग मिल रहे हैं,
लेकिन अभी वर्तमान में कौड़िहार में यह व्यवसाय फल फूल रहा है और प्रशासन को इसकी भनक नहीं है. इसी प्रकार नेपाल से आने वाली सेब की पेटी में शराब की बोतले नेपाल से लायी जा रही हैं और प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है. सीमा पर तैनात एसएसबी भी कुछ खास असर नहीं छोड़ पा रही है. पुलिस और उत्पाद विभाग भी इस पर कार्रवाई करने में अक्षम प्रतित हो रहा है. इसे प्रशासन की चुप्पी कहें या जानकारी अभाव दोनों की हालात में सरकार की शराबबंदी विफल हो रही है.
ग्रामीण इलाकों में निगरानी का अभाव: रक्सौल मुख्य नाका पर भी जितनी चौकसी होनी चाहिए उतनी नहीं है. ग्रामीण इलाकों से लोग सहज ही आ जा रहे हैं. इसके कारण शराबियों के हौसले बुलंद हैं और उनका शराबबंदी से कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है. महदेवा, सीसवा, पंटोका, मटिअरवा, महुआवा सहित अन्य ग्रामीण बॉर्डर पर निगरानी का अभाव है.
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