मोहन जीवन-मौत से लड़ रहा जंग
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शहर के बेलगाम पशुओं ने बनाया अपाहिज
मोहन जीवन-मौत से लड़ रहा जंग महाराष्ट्र के पूणा का रहने वाला है मोहन बेलगाम पशुओं ने बनाया अपाहिज गंभीर चोट से खाना नही हो रहा हजम इस घडी में परिजन भी नही है पास टाइपराइटर मशीन बनता है मोहन 40 वर्ष से मोतिहारी में करता है नौकरी मोतिहारी : आवारा पशुओं के आतंक ने […]
महाराष्ट्र के पूणा का रहने वाला है मोहन
बेलगाम पशुओं ने बनाया अपाहिज
गंभीर चोट से खाना नही हो रहा हजम
इस घडी में परिजन भी नही है पास
टाइपराइटर मशीन बनता है मोहन
40 वर्ष से मोतिहारी में करता है नौकरी
मोतिहारी : आवारा पशुओं के आतंक ने शहरवासियों को जीना मुहाल कर रखा है. बेलगाम पशु राह चलते किसी को शिकार बना सकते है. एक-एक कर ऐसी दर्जनों घटनाएं हो चुकी है.
एक बार फिर आवारा पशुओं के शिकार होने की घटना दुहरायी गयी है. जिसमें महाराष्ट्र का पूणा निवासी मोहन दास गंभीर रूप से घायल हो गया है. उसका इलाज सदर अस्पताल में चल रहा है.
अपने परिजनों से हजारों किलोमीटर दूर जीवन-यापन को आये मोहन को चांदमारी चौक पर सड़कों पर विचलन करते आवारा पशु ने शिकार बना डाला. घायल 53 वर्षिय मोहन आज अस्पताल की बेड पर जीवन-मौत से जूझ रहा है. इस घटना में उसके पैर टूट गये है, वहीं पेट एवं सीना में गंभीर चोट आयी है. चिकित्सकों के मुताबिक चोट की वजह से उसे खाना भी हजम नहीं हो रहा. अस्पताल के बिस्तर पर पड़ा मोहन अपाहिज की जिंदगी गुजार रहा है.
इस घड़ी में उसका अपना कोई भी सगा-संबंधी उसके पास नहीं है. पूछताछ में उसने बताया कि वह चांदमारी चौक स्थित बिहार कमर्शियल इंस्टीच्यूट में टाइपराइटर मशीन बनाने का काम करता है और पिछले 40 वर्ष से यहां मोतिहारी में रहकर संस्थान में नौकरी करता है.
उसने बताया कि घटना की सूचना परिवार वाले को दी गयी है. फिलहाल संस्थान के मालिक विजय कुमार श्रीवास्तव उसकी देखरेख में सहयोग कर रहे है. अस्पताल में उचित इलाज भी नहीं मिल रहा, आर्थिक तंगी से जूझ रहे मोहन को दवा भी बाहर से खरीदनी पड़ रही है. जबकि इस घटना के बाद भी अबतक शासन एवं प्रशासन के लोगों ने खबर तक नहीं लिया.
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