मोतिहारी : तुरकौलिया प्रखंड के सीडीपीओ कार्यालय में शॉर्ट सर्किट से लगी आग अधिकारियों ने नजर पर प्रथम दृष्टया साजिश का नतीजा है. इस साजिश के पीछे 50 लाख से अधिक की गड़बड़ी हो सकती है, जो पकड़ में न आये इसलिए अग्निकांड को शॉर्ट सर्किट से जोड़कर घटना को अंजाम दिया गया है. जांच टीम के एडीएम मनोज कुमार रजक, एसडीओ प्रियरंजन राजू, बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता प्रदीप कुमार, फायर अधिकारी प्रेम दास घटना की जांच कर लौट चुके हैं. जांच के दौरान पूछताछ में जो तथ्य उभर कर सामने आया है वह कई सवालों को खड़ा कर रहा है. जब शार्ट सर्किट हुआ तो आलमीरा के उपर का बिजली तार कैसे गला.
अगर शार्ट सर्किट हुआ तो उसका कीट व बोर्ड भी जल जाता जो नहीं जला है. पास का दूसरा आलमीरा बच गया, जबकि महत्वपूर्ण कागजात वाले बंद आलमीरा का पूरा कागजात कैसे जल गया. कागजात का एक टुकड़ा भी कैसे नहीं बचा. मच्छररोधी क्वायल जला हुआ मिला है जो वहां कैसे जला. प्रधान सहायक द्वारा यह कहा जा रहा है कि चाभी ऑपरेटर को देकर पटना चले गये थे, जबकि ऑपरेटर का कहना है कि मेरे पास गेट का चाभी था. आलमीरा की चाभी प्रधान सहायक के पास था. दो कर्मियों का विरोधाभासी बयान व आग लगने व शोरगुल के बाद कैंपस के अधिकारी व कर्मी जगे लेकिन प्रधान सहायक की नींद न खुलना कई सवालों को जन्म दे रहा है.
अग्निकांड के बहाने 50 लाख
की गड़बड़ी छुपाने की आशंका
तुरकौलिया सीडीपीओ ऑफिस अग्निकांड संदेह के घेरे में
तार जला तो विद्युत बोर्ड का कीट
व बोर्ड कैसे रहा सुरक्षित
सहायक व ऑपरेटर का विरोधाभासी बयान आया सामने
बंद आलमीरा के सभी कागजात कैसे हो गये राख में तब्दील
मच्छर अगरबती का टुकड़ा भी कार्यालय से हुआ बरामद
पांच सदस्यीय जांच टीम घटना
की जांच कर लौटी वापस
डेढ़ वर्षों से बीडीओ थे सीडीपीओ के प्रभार में
करीब डेढ़ वर्षों से बीडीओ थे सीडीपीओ के प्रभार में. इस दौरान कार्यालय का संचालन मुख्य रूप से प्रधान सहायक द्वारा किया गया. राशन आवंटन व वितरण में गड़बड़ी होती रही. नये नियुक्ति के तहत मेहसी से सीडीपीओ की तैनाती तुरकौलिया हुई है. सीडीपीओ कार्यालय व संचिका संचालन की गड़बड़ी को न पकड़ पाये इसलिए कार्यालय के एक कर्मी द्वारा ही इस घटना को अंजाम दिया गया है ताकि लाखों की गड़बड़ी को छुपाया जा सके. जांच टीम के अधिकारी ने बताया कि इस घटना का किंग पीन एक कर्मी ही है. इधर पूछने पर सदर एसडीओ प्रियरंजन राजू ने कहा कि जांच की गयी है. शार्ट सर्किट कांड संदेहास्पद है. लाखों की गड़बड़ी हो सकती है. जांच रिपोर्ट सौंपने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.
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पैसे न देने पर कागजात में कमी
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