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पारंपरिक खेती के साथ मत्स्य पालन भी जरूरी : उपनिदेशक
मोतिहारी : पारंपरिक खेती के साथ किसान अगर सामुदायिक खेती करे तो आय अच्छी होगी. सामुदायिक खेती के तहत मतस्य पालन,बागवानी पशुपालन आदि को किसान अपनाए तो आय निश्चित तौर पर दोगुनी हो जायेगी. इसके लिए किसानों में जन जागरुकता के साथ पशुपालन व मतस्य पालन से होनेवाले लाभ के संबंध में जानकारी देनी होगी. […]
मोतिहारी : पारंपरिक खेती के साथ किसान अगर सामुदायिक खेती करे तो आय अच्छी होगी. सामुदायिक खेती के तहत मतस्य पालन,बागवानी पशुपालन आदि को किसान अपनाए तो आय निश्चित तौर पर दोगुनी हो जायेगी. इसके लिए किसानों में जन जागरुकता के साथ पशुपालन व मतस्य पालन से होनेवाले लाभ के संबंध में जानकारी देनी होगी.
उक्त बातें नगर भवन में मगंलवार को आयोजित कृषि अधिकारियों के प्रशिक्षण शिविर को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के उप निदेशक डाॅ रामबाबू ने कही. उन्होंने कृषि समन्वयकों व कृषि अधिकारियों के लिए सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन की जानकारी दी तथा अनुपालन का निर्देश दिया. डाॅ रामबाबू ने कहा कि किसानों के हित में विभागीय योजनाओं का लाभ गांव तक पहुंचाने के लिए कृषि समन्वयकों को नियमित रूप से किसानों को भी जाना होगा. ऐसा न करनेवाले समन्वयक कारवाई के शिकार होगे. डीएचओ डाॅ श्रीकांत ने उद्यान के संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ किसान उद्यान के माध्यम से भी ले सकते है. मौके पर विरेंद्र शर्मा, राजेश कुमार, नदंकिशोर सिंह, दीपक कुमार, धर्मेंंद्र कुमार सहित कई लोग थे.
हल्दी, अदरक व ओल बुआई का सही समय : मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार 8 से 13 मई तक आकाश में गरज वाले बादल बन सकते है. कही कही हल्की बारिश भी होगी. बारह किमी की रफ्तार से पूरबा हवा चलेगी. पिछले दिनों हुई बारिश वाले किसान खरीफ बीज के लिए खेतों की निकाई कर सकते हैं. पंद्रह मई से हल्दी, अदरख की बुआई किसान कर सकते है. नेनुआ करैला व लौकी के लतर में भ्रींग कीट से बचाव के लिए डाईक्लोरोवास 76ईसी/ 1 मीली0 प्रति ली0 पानी की दर से छिड़काव करे. किसान राजेंद्र किस्म की ओल की बुआई कर सकते हैं.
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