मोतिहारी : प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए मोतिहारी शहर को दो भागों में बांटने वाली मोतीझील के संरक्षण व सौंदर्यीकरण के लिए भले ही केंद्र व राज्य की सरकार कई स्तर से पहल कर रही है और मास्टर प्लान के तहत उसे अंतिम रूप देने की कोशिश कर रही है .
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माेतीझील की जमीन पर भू-माफियाओं की नजर
मोतिहारी : प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए मोतिहारी शहर को दो भागों में बांटने वाली मोतीझील के संरक्षण व सौंदर्यीकरण के लिए भले ही केंद्र व राज्य की सरकार कई स्तर से पहल कर रही है और मास्टर प्लान के तहत उसे अंतिम रूप देने की कोशिश कर रही है . लेकिन जिस तरह […]
लेकिन जिस तरह से भू-माफिया उसकी जमीन की खरीद-बिक्री कर उसपर कब्जा कर रहे हैं उससे मोतीझील के अस्तित्व पर प्रश्न चिह्न लगता नजर आ रहा है. बेरोक टोक उसकी किमती जमीन पर कब्जा कर पक्का मकान का निर्माण कराया जा रहा है. करीब 250 एकड़ जमीन पर फैली इस झील को सजाने व संवारने के लिए 22 करोड़ रुपये केंद्र सरकार से मिले हैं. बीते 10 अप्रैल को शहर के गांधी मैदान में आयोजित सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इसका शिलान्यास भी कर दिया गया.
उसके बाद शहरवासियों को एक बड़ी उम्मीद जगी थी और लगा था कि मोतीझील का कायाकल्प अब हो जायेगा. बताया जाता है कि शहर के बरियारपुर चीनी मिल के समीप, मिस्कॉट के सामने सहित कई इलाकों में झील की जमीन पर घर बनाया जा रहा है. मिस्कॉट के सामने एक पार से दूसरे पार जाने के लिए सड़क भी बना दी गयी है.
झील बचेगी तभी होगा कायाकल्प
इस दौरान पूरे शहर में एक लंबी
बहस छीड़ी हो रही है. अवैध अतिक्रमण को ले तरह-तरह के सवाल खड़े किये जा रहे है. बहस में यह भी कहा जा रहा है कि झील बचेगी तब न उसका सौंदर्यीकरण व संरक्षण हो पायेगा. सरकारी पहल से पहले अतिक्रमणकारी उसके अस्तित्व को मिटाने में लगे
हुए हैं. उधर, डीएम रमन कुमार ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है. शीघ्र कार्रवाई की जायेगी. अतिक्रमणकारी बख्शे नहीं जायेंगे.
धड़ल्ले से बन रहे मकान
संरक्षण को मिले 22 करोड़
यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने किया था शिलान्यास
कश्मीर के डल झील से होती थी तुलना
शहर के दो भागों में जोड़ने वाली इस झील की तुलना कशमीर के डल झील से होती थी. झील के किनारे खुशगवार मौसम होता था जहां सुबह व शाम में शायर व कवि अपनी रचनाएं लिखते थे और शब्दों को खेल खेलते थे.
पूर्व से चिह्नित हैं 158 अतिक्रमणकारी
पूर्व से प्रशासन द्वारा 158 अतिक्रमणकारियों को चिह्नित किया जा चुका है. कई बार उन्हें नोटिस भी प्रशासन द्वारा दिया गया है. बावजूद इसके कोई ठोस पहल नहीं होना अपने आप में एक बड़ा सवाल है. पूर्व के जिलाधिकारियों द्वारा भी अतिक्रमणकारियों को नोटिस किया जा चुका है.
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