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जीव का ब्रह्म से मिलन की कथा है भागवत

कहा, भागवत कथा सुनने से हृदय की निकल जाती है सभी बुराइयां आर्यसमाज चौक स्थित होटल परिसर में सात दिवसीय कथा शुरू मोतिहारी : भागवत कथा जीव को ब्रह्म से मिलन की कथा है. अंतिम समय हमारा जीवन-यापन कैसे हो, यह भागवत हमें सिखाती है. ये उद्गार आर्यसमाज चौक स्थित होटल शक्ति के मैदान में […]

कहा, भागवत कथा सुनने से हृदय की निकल जाती है सभी बुराइयां

आर्यसमाज चौक स्थित होटल परिसर में सात दिवसीय कथा शुरू
मोतिहारी : भागवत कथा जीव को ब्रह्म से मिलन की कथा है. अंतिम समय हमारा जीवन-यापन कैसे हो, यह भागवत हमें सिखाती है.
ये उद्गार आर्यसमाज चौक स्थित होटल शक्ति के मैदान में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा की अमृत वर्षा के पहले दिन रविवार को अयोध्या से पधारे प्रवचक परमपूज्य आचार्य रामप्रवेश दास जी महाराज ने व्यक्त किये. कहा कि पिवत भागवतम् रस माल्यम अर्थात जीवन पर्यंत भागवत रस का पान करना चाहिए. एक बार भी कोई सच्चे मन से भागवत कथा सुनता है, उसके हृदय की सभी बुराइयां बाहर निकल आ जाती है और हृदय में प्रेम का संचार होने लगता है.
प्रवचन के क्रम में उन्होंने भागवत महात्म का वर्णन करते हुए श्रद्धालु भक्तों को धुंधकारी की कथा सुनायी. महाराज जी ने कहा कि जिसने अपने माता-पिता को दुख दिया. परिणामस्वरूप उसे प्रेतयोनि की प्राप्ति हुई. फिर गोकर्ण जी द्वारा भागवत की कथा सुनी. इससे उसका प्रेतयोनि छूट गयी और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई. इस बीच महाराजजी ने धर्म क्या है? श्रद्धालुओं को इससे भी रूबरू कराते हुए कहा कि धर्म जीवन जीने की पद्धति है. इस दौरान उन्होंने भक्तिमयी गीतों की प्रस्तुति देकर भक्तों को झुमाया भी. समिति के अध्यक्ष विंध्याचल सिंह, व्यवस्थापक विवेक किशोर, उपाध्यक्ष किशोर सिंह, उपेंद्र झा, मनोज कुमार, अद्या सिंह, सविंद्र प्रसाद यादव, सुजीत सिंह, शैलेंद्र, कौशलकिशोर प्रसाद, ओमप्रकाश, पिंटू, रामापति प्रसाद, उमाकांत प्रसाद सिंह आदि मौजूद थे.

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