डुमरांव
. ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं की बीमारी का इलाज समयानुसार नहीं हो पाता है. समय से इलाज नहीं होने के कारण अक्सर पशुपालकों को इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ता है. स्थानीय स्तर पर अनुभवी डॉक्टरों की कमी और सही इलाज की अनुपलब्धता पशुपालकों के लिए चिंता का बड़ा कारण बन जाती है. लेकिन अब 1962 डायल करते ही मोबाइल पशु चिकित्सालय सेवा देहात क्षेत्रों में एक वरदान साबित हो रही है. ऐसी ही एक मामला डुमरांव प्रखंड के पुराना भोजपुर गांव में देखने को मिली, जहां किसान रामजी सिंह की गाय ने बछड़ा देने के पांच दिन बाद अचानक चलना-फिरना, खड़े होना बंद कर दिया . पशुपालक ने गांव के कई डॉक्टरों से संपर्क किया, इलाज भी कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. गाय उठ नहीं पा रही थी, जिससे किसान मानसिक व आर्थिक रूप से खासा परेशान हो गए थे. इलाज के बाद चलने लगी गायजब सारी कोशिशें विफल हो गईं तो रामजी सिंह ने सरकार द्वारा चलाई जा रही मोबाइल पशु चिकित्सालय सेवा के नंबर 1962 पर कॉल किया. कॉल के कुछ ही समय बाद डुमरांव मोबाइल यूनिट की टीम जिसमें डॉक्टर रवि प्रकाश पाल, सहायक मोहम्मद अकबर और ड्राइवर रतन पाल यादव मौके पर पहुंच गई. टीम ने गाय की जांच कर बीमारी को डोनर काउ सिंड्रोम के रूप में चिन्हित किया. डॉक्टर ने बताया कि इस बीमारी में बछड़ा देने के बाद गायों की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे वे खड़ी नहीं हो पातीं. डॉ. पाल ने गाय की तुरंत इलाज शुरू किया और आवश्यक दवाएं दीं. आश्चर्यजनक रूप से, अगले ही दिन सुबह गाय अपने आप खड़ी हो गई और सामान्य रूप से घुमने फिरने लगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

