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मलेरिया से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए पूरे जिले में संचालित होंगी विभिन्न गतिविधियां

भोजपुर जिले में तापमान बढ़ने के साथ साथ मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है. ऐसे में मच्छरों के बचाव को लेकर शुक्रवार को जिले में विश्व मलेरिया दिवस मनाया जायेगा.

बक्सर. भोजपुर जिले में तापमान बढ़ने के साथ साथ मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है. ऐसे में मच्छरों के बचाव को लेकर शुक्रवार को जिले में विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाएगा ताकि, लोगों में मच्छरों व मलेरिया से बचाव के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़े. इस वर्ष मलेरिया हमारे साथ खत्म होगा : पुनर्निवेश पुनर्कल्पना, पुनर्जीवन की थीम पर किया जायेगा. इसके तहत मलेरिया उन्मूलन के लिए महत्वपूर्ण संदेशों को समुदाय में साझा करते हुए इसके खिलाफ लड़ाई में लोगों को सजग करते हुए उनमें जागरुकता बढ़ाना है एवं मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित की जानी है. तभी 2030 तक मलेरिया से निजात मिल सकेगी.

वृहद् पैमाने पर लोगों को एकजुट होना होगा : जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शैलेंद्र कुमार ने बताया कि पूर्व की अपेक्षा मलेरिया के प्रति लोगों जागरूक हुए हैं. लेकिन, इसे सामुदायिक अभियान बनाने के लिए उद्देश्य से वृहद् पैमाने पर लोगों को एकजुट होना होगा. तभी जाकर हम मलेरिया से निजात पा सकेंगे. इसी उद्देश्य से हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है. जिसमें विभिन्न गतिविधियों का आयोजन कर लोगों तक मच्छर जनित बीमारी मलेरिया के लक्षणों की पहचान, इलाज और बचाव को लेकर जानकारी पहुंचाई जाती है. साथ ही, सहयोगी संस्थानों के साथ समन्वय स्थापित कर प्रभातफेरी समेत कई गतिविधियों का भी आयोजन किया जाता है. जिससे लोगों में जागरूकता फैलाई जा सके.

मलेरिया के परजीवी मस्तिष्क व अन्य अंगों को पहुंचाते है नुकसान : डॉ शैलेंद्र कुमार ने बताया कि मलेरिया में समय पर इलाज होना बहुत जरूरी होता है. इसमें मादा एनाफिलीज मच्छर के परजीवी संक्रमण और लाल रक्त कोशिकाओं के नष्ट होने से थकान, एनीमिया, दौरा या चेतना की नुकसान हो सकता है. सेरेब्रल मलेरिया में परजीवी रक्त के जरिए मस्तिष्क व शरीर के अन्य अंगों में पहुंच कर नुकसान करते हैं. गर्भावस्था में मलेरिया से गर्भवती व उसके गर्भस्थ शिशु को खतरा हो सकता है. यह रोग मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने पर 10 से 14 दिन बाद विकसित होता है. उन्होंने बताया कि मलेरिया का पता माइक्रोस्कोपी द्वारा रक्त की जांच से लगाया जा सकता है. अगर उसमें परजीवी दिखाई देते हैं, तो बीमारी को पॉजिटिव मानते हैं. इसके अलावा, रैपिड डिटेक्शन टेस्ट (आरडीटी) में रक्त के नमूने को लेकर जांच की जाती है.

हैंड बिल, बैनर पोस्टर लगाकर किया जा रहा है जागरूक : वीडीसीओ पंकज कुमार ने बताया कि प्रखंड के विभिन्न गांवों में हैंड बिल का वितरण करते हुए बैनर और पोस्टर लगाए जा रहा है. ताकि, लोग मच्छर जनित इस बीमारी और इसके दुष्प्रभावों को जान सकें. साथ ही, मलेरिया से बचाव के लिए वो सर्वप्रथम अपने स्तर पर प्रयास करें. जिससे वो स्वयं के साथ अपने परिजनों को मच्छरों के आतंक से बचा सकें. उन्होंने बताया कि मलेरिया या डेंगू का लार्वा पनपने के लिए गर्मी-बारिश का मौसम सबसे अनुकूल होता है, क्योंकि जगह-जगह जलभराव व गंदगी फैली होती है. लेकिन, अब तो वर्षभर भर मलेरिया के रोगी निकल रहे हैं. वजह कृत्रिम जलभराव व गंदगी है. गांव ही नहीं, शहर में सफाई व्यवस्था को लेकर सजगता का अभाव दिखता है.

मलेरिया से बचाव के लिए करें ये उपाय

हमेशा ध्यान रखें कि मच्छर ना काटने पाएं

अगर मलेरिया हो गया है, तो पूरी दवा लें

दो तरह की दवाएं दी जाती हैं, पीवी और पीएफ के लिए उपचार अलग-अलग होता है

यदि 14 दिनों की दवा दी जाती है, तो उसे पूरा करें, बीच में ना छोड़ें

सोते समय ध्यान रखें कि मच्छर ना काटे

आसपास सफाई का विशेष ध्यान रखें, कहीं पानी न जमा होने पाये

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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