सिमरी
. टमाटर के बंपर उपज होने से किसान खुश नजर आ रहे थे लेकिन भाव में गिरावट होने की वजह से किसान परेशान हैं. अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ करने का सपना संजोये किसान टमाटर की खेती किए थे लेकिन टमाटर की खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है. टमाटर की लागत मूल्य भी मंडी में नहीं मिलने से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों का कहना माने तो खेतों से टमाटर तोडने की मजदूरी भी किसानों को नहीं मिल पा रहा है. टमाटर तोडने के लिए मजदूर 300 रुपये एक दिन का मजदूरी ले रहे हैं, लेकिन टमाटर तोडने की लागत भी किसानों को नही मिल रहा है. किसानों ने बातचीत के दौरान बताया की 30 रुपये प्रति कैरेट टमाटर बिक रहा है. बता दें कि एक कैरेट में 25 से 26 किलोग्राम टमाटर आते हैं. टमाटर का खरीददार नहीं होने की वजह से किसान टमाटर को खेतों में हीं छोडने के लिए विवश हैं.मवेशी खा रहे हैं टमाटर :
किसानों को टमाटर की लागत मूल्य नहीं मिलने के कारण किसान टमाटर को खेतों में हीं छोड दिए हैं. किसान रमेश यादव मनीष पाण्डेय, का कहना है कि खेतों से टमाटर तोड़ने का मजदूरी भी नहीं मिल पा रहा है, जिस वजह से पक्के हुए टमाटर को खेतों में हीं छोड देने की विवशता है.टमाटर रोपने में कितनी आयी है लागत :
प्रखंड क्षेत्र की बडा भूखंड में किसानों द्वारा टमाटर की खेती की गई है.सहियार, सिमरी, भरौली, पडरी, मंझवारी, नगवां,धनन्जयपुर, गायघाट सहित दर्जनों गांव के किसानों द्वारा टमाटर की बम्पर खेती-बाड़ी की गई है.किसानों ने बताया की 15 से 18 हजार रुपये प्रति बिगहा मालगुजारी एवं प्रति बिगहा 25 से 30 हजार रुपये टमाटर रोपने मे खर्च आता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

