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Buxar News: मंगल गीतों के बीच हुआ शिव-पार्वती विवाह

जिले के ब्रह्मपुर प्रखंड के पूर्वा गांव में श्री जियर स्वामी जी के सान्निध्य में भव्य तरीके से शिव पार्वती विवाह का आयोजन किया गया.

बक्सर. जिले के ब्रह्मपुर प्रखंड के पूर्वा गांव में श्री जियर स्वामी जी के सान्निध्य में भव्य तरीके से शिव पार्वती विवाह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम इतना भव्य था कि काफी दूर-दूर से लोग काफी संख्या में देखने हेतु जुटे हुए थे. इस कार्यक्रम के संयोजक डॉक्टर टीपी सिंह हैं.

मीडिया प्रभारी अखिलेश बाबा ने बताया कि शिवरात्रि के पावन अवसर पर पूर्वा गांव में भव्य तरीके से शिव पार्वती विवाह का आयोजन किया गया था. इस मौके पर भव्य भंडारे का भी आयोजन हुआ. काशी मथुरा बनारस आदि जगहों से आए हुए आचार्य द्वारा वैदिक रीति के साथ पूजा अर्चना किया गया. मांगलिक गीत भी गए गए तथा विधिपूर्वक शिव पार्वती का विवाह कराया गया. स्वामी जी महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि भगवान शंकर देवों के देव महादेव हैं. उनकी पूजा अर्चना करने से जीवन की सारी परेशानियां समाप्त हो जाती है.जिनके ऊपर महादेव की कृपा बन जाती है समझो उसका कल्याण हो गया. हर महीने एक शिवरात्रि होती है लेकिन साल में एक ही महाशिवरात्रि होती है जिस दिन व्रत रखने तथा पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व होता है. शिव पार्वती विवाह जैसे आयोजन में हिस्सा लेने से उनके ऊपर पूरे शिव परिवार की कृपा बनी रहती है. और जिनके ऊपर शिव परिवार की कृपा बनी रहती है उनके घर में लक्ष्मी का वास होता है घर में शांति रहती है जीवन में मान सम्मान मिलता है अतः व्यक्ति को कभी भी मौका मिले तो इस तरह का आयोजन में हिस्सा अवश्य लेना चाहिए.

कीर्तन आनंद का विषय होता है :

कीर्तन आनंद का विषय होता है. कीर्तन में तन्मयता होनी चाहिए. कीर्तन का बहुत बड़ा महत्व होता है. शास्त्र में भगवान को पूजन करने के लिए अनेक उपाय बताया गया है. एक उपाय है भगवान के सामने नृत्य करना. परंतु आज दुर्भाग्य है कि व्यास की गद्दी पर बैठ करके व्यास गद्दी के नियम के विरुद्ध खड़े होकर नाच रहें है. यह भारत की संस्कृति के लिए दुर्भाग्य है. व्यासगद्दी की एक गरिमा होती है. मर्यादा होती है. वेद और शास्त्र के अनुसार जो ऐसा करता है ठीक नहीं है. जो आज के युग में नृत्य करते हैं वो तन्मयता के साथ नही बल्कि दिखावा करते हैं जो ठीक नहीं है. भगवान को प्रसन्न करने का दुसरा माध्यम है गीत गाकर. तीसरा वेद, पुराण का पाठ करके भगवान को प्रसन्न किया जाता है.

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