बक्सर
. राग, रंग व उमंग का त्योहार होली की तैयारियां प्रारंभ कर दी गई हैं. इस बार 13 मार्च को होलिका दहन व 15 मार्च को रंगोत्सव मनाया जायेगा. फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन व उसके अगले दिन यानि चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि को रंगोत्सव का पर्व फगुआ मनाया जाता है, लेकिन तिथि में हेरफेर के चलते काशी को छोड़ रंगोत्सव पर्व होलिका दहन के एक दिन बाद 15 मार्च को मनेगा. होलिका दहन एवं रंगोत्सव के उक्त मुहूर्त को लेकर सभी आचार्य एक मत है. आचार्य कृष्णानंद जी पौराणिक ने बताया कि भद्रा रहित पूर्णिमा तिथि में होलिका दहन का विधान है. क्योंकि भद्रा में होलिका दहन करना अशुभ होता है. उन्होंने बताया कि पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को पूर्वाह्न 10 बजकर 02 मिनट से शुरू होकर 14 मार्च को पूर्वाह्न 11.12 बजे तक रहेगी. जबकि 13 मार्च को पूर्वाह्न 10.02 बजे से रात 10.37 बजे तक भाद्रा का योग बन रहा है. ऐसे में होलिका दहन 13 मार्च की रात 10.37 बजे के बाद किया जाएगा. शास्त्रीय विधान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि रंगोत्सव अर्थात फगुआ का पर्व चैत्र मास के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है. वही प्रतिपदा तिथि 14 मार्च को सूर्योदय काल में न होकर पूर्वाह्न 11.12 बजे के बाद शुरू हो रही है. ऐसे में रंगोत्सव पर्व 15 मार्च को मनेगा. क्योंकि 14 मार्च को सूर्योदय काल में पूर्णिमा तिथि का योग नहीं है. उनकी बातों का समर्थन करते हुए ज्योतिषाचार्य पं.मुन्ना जी चौबे ने कहा कि निर्विवाद रूप से होलिका दहन 13 मार्च की 10.37 बजे के बाद तथा रंगोत्सव 15 मार्च को मनाया जाएगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है