बस्ती के लोग भी परेशान : बात यहीं नहीं खत्म होती स्वच्छता कर्मचारियों के द्वारा जब इकट्ठा कचरा को फूंका जाता है तो इतना धुआं का गुब्बारा निकलता है कि रोड पर चलना मुश्किल हो जाता है. फैलते धुआं के साथ दुर्गंध से आसपास के बस्ती में रहना भी मुश्किल हो जाता है. कचरे से निकलने वाले धुआं से खासकर बाइक चालक को बहुत परेशानी होती हैं क्योंकि धुआं से रोड पर कुछ दिखाई नहीं देता है. ऐसे में इस जगह पर कइ बार लोग घायल भी हुए हैं.
सिमटती जा रहा नदी का अस्तित्व : सरकार एक तरफ जहां नदी, नाहर, आहर, तालाब को बचाने में लाखों, करोड़ों रुपये खर्च कर कर रही हैं, वहीं दूसरी तरफ कांव नदी को कूड़ा डंप जोन बना दिया गया है. कूड़ा डंप जोन बनाने से इस नदी की अस्तित्व पर भी संकट का बदल छाते जा रहा है. काल के गाल में समा रहे पशु : खुले में बना कूड़े का डंपिंग जोन से वहां पर कुछ खाने-पीने के लालच से पालतू या जंगली पशु भी पहुंचते हैं. कूड़े के साथ लोग कुछ खाने पीने वाला सामान पॉलिथीन में बांधकर फेंक देते हैं. ऐसे में पशु पहुंचते ही प्लास्टिक में बंद खाद्य पदार्थों को प्लास्टिक सहित निगल जाते हैं और बाद में पशु बीमार पड़ जाते है. बीमार होने के बाद धीरे-धीरे पशु काल के गाल में समा जाते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है