डुमरांव. नगर परिषद क्षेत्र के नया भोजपुर-डुमरी पथ से सटे गजरावां के पास कूड़ा फेंकने से इस पथ पर आवागमन करने वाले यात्रियों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ रह है. लोगों ने बताया कि गजरावां से सटे रोड के किनारे कांव नदी में नगर परिषद द्वारा कचरा फेंका जा रहा है. जिससे रोड पर आने जाने वाले लोगों के साथ आसपास के बस्ती में भी दुर्गंध फैलता रहता है. दुर्गंध इतनी तेज होती है की आसपास के लोग हर समय परेशान रहते हैं. बताते चलें कि डुमरी-भोजपुर मुख्य पथ दर्जनों गांवों को डुमरांव अनुमंडल से जोड़ता है. इसी रास्ते से लोग जिला से लेकर अनुमंडल तक सफर करते है. अपने निजी कार्य से विभिन्न जगह डुमरांव रेलवे स्टेशन, नया भोजपुर बजार, डुमरांव बजार, अनुमंडलीय अस्पताल, कोर्ट, बक्सर सहित अन्य स्थानों के लिए लोग प्रतिदिन सफर करते है. नाक बांध कर यात्रा करते हैं लोग: सदाम खान, बबन यादव, मंतोष ने बताया कि इसी रोड से प्रत्येक दिन हमलोग सफर करते है. लेकिन जैसें ही भोजपुर पुल के पास आते हैं तो बदबू से हालत खराब हो जाती है. नाक बांधकर यहां से गुजरना पड़ता है. इसका मुख्य कारण हैं रोड से सटे पूर्व साइड नदी में नगर परिषद द्वारा कचरा फेंकने से यात्रा बहुत कष्टदायक हो जाता है. आस-पास के लोग भी परेशान: बात यहीं नहीं खत्म होती स्वच्छता कर्मचारियों के द्वारा जब इकठ्ठा कचरा को फूंका जाता है तो इतना धुआं जबरदस्त निकलता है कि रोड पर चलना मुश्किल हो जाता है.वही फैलते धुआं के साथ दुर्गंध से आसपास के बस्ती में रहना भी मुश्किल हो जाता है. कचरे से निकलने वाले धुआं से खासकर बाइक चालक को बहुत परेशानी होती हैं क्योंकि धुआं से रोड पर कुछ दिखाई नहीं पड़ता है. ऐसे में इस जगह पर कइ बार लोग घायल भी हुए है. गोविंद जी ओझा ने बताया कि कुछ दिन पहले धुआं के कारण इसी जगह पर मेरा बाइक से एक्सीडेंट हुआ था. उन्होंने बताया कि ठंड का समय था और कूड़े से निकलने वाले धुआं के कारण यहां पर कुछ दिखाई नहीं पड़ता है. इस वजह से आए तीन लोग यहां गिरकर घायल होते रहते हैं. अनेकों बीमारियों से ग्रसित हो रहे पशु: खुले में कूड़े फेंकने से वहां पर कुछ खाने-पीने के लालच से पालतू या जंगली पशु भी पहुंचते है. कूड़े के साथ लोग कुछ खाने पीने वाला सामान पॉलिथीन में बांधकर फेंक देते है. ऐसे में पशु पहुंचते ही प्लास्टिक में बंद खाद्य पदार्थों को प्लास्टिक सहित निगल जाते हैं और बाद में पशु बीमार पड़ जाते है. बीमार होने के बाद धीरे-धीरे पशु काल के गाल में समा जाते है. पशुपालक बताते हैं कि यदि पशु किसी तरह से पालीथीन या प्लास्टिक निगल जाती है तो फिर बचाना बहुत मुश्किल होता है. धीरे-धीरे पशु बीमार पड़ जाती है इसके बाद खाना पीना छोड़ देती है अंत में वह दम तोड़ देती है. कूड़े से बनेगा खाद्य: इस संबंध में नगर परिषद के सहायक लोक स्वच्छता पदाधिकारी राजीव रंजन ने बताया कि लगभग एक महीने में मशीन आ जाएगी. मशीन आते ही वहां से सारा कूड़ा को हटा दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि मशीन से कूड़ा को अलग निकाल लिया जाएगा और उसी कूड़े से खाद बनाया जाएगा. इसके बाद कूड़ा में जो पॉलिथीन या प्लास्टिक रहता है उसे भी मशीन के द्वारा अलग निकाल लिया जाएगा. पॉलिथीन को सीमेंट फैक्ट्री या अन्य जगह बेच दिया जाएगा. वही कूड़े से जो खाद बनाया जाएगा उसे भी बाजारों में बेच दिया जाएगा. इससे वहां दुर्गंध भी नहीं होगा और धुआं से भी मुक्ति मिल जाएगी. इससे बस्ती के साथ यात्रियों को भी राहत मिलेगी. हालांकि उन्होंने कहा कि अभी दुर्गंध एवं धूंआ से बचने के लिए वहां पर तत्काल मिट्टी की भराई करवा दिया जाएगा ताकि आने जाने वाले यात्रियों को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े.
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