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सीता और सावित्री जैसी नारियों ने पति-सेवा और नारी धर्म के प्रति हमें प्रेरित किया है : चिंता देवी

सरस्वती विद्या मंदिर अहिरौली बक्सर में शनिवार को आश्विन कृष्णपक्ष चतुर्दशी के शुभ अवसर पर सप्त शक्ति संगम नामक एक गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

बक्सर. सरस्वती विद्या मंदिर अहिरौली बक्सर में शनिवार को आश्विन कृष्णपक्ष चतुर्दशी के शुभ अवसर पर सप्त शक्ति संगम नामक एक गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य विद्यालय के विशाल केशव सभागार में महिलाओं में निहित सात्विक गुणों का प्रकटीकरण करना था. कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और विद्या की देवी मां सरस्वती की वंदना के साथ हुआ. तत्पश्चात् मंचासीन देवी-स्वरूपा अधिकारियों का परिचय कराया गया और उन्हें अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया. सम्मानित होने वालों में विभागीय अध्यक्ष चिंता देवी, क्रीड़ा प्रकोष्ठ की प्रदेश संयोजिका वर्षा पाण्डेय एवं प्रधानाचार्या सुलेखा प्रमुख थीं. कार्यक्रम की प्रस्तावना ज्योति मिश्रा द्वारा प्रस्तुत की गई. इसके उपरांत बहन आंशी कुमारी, प्रीति कुमारी और अन्या कुमारी द्वारा समूह गीत प्रस्तुत किए गए. चिंता देवी ने कुटुंब प्रबोधन एवं पर्यावरण के संबंध में भारतीय दृष्टिकोण पर विस्तृत प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि मानव अपनी दिव्य कल्पनाओं और भव्य भावनाओं के माध्यम से एक शक्तिशाली समाज के निर्माण का अथक प्रयास करता है. यह कार्यक्रम विद्यालय के शैक्षिक और सांस्कृतिक परिवेश को उजागर करता है, जहां केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि नैतिक मूल्यों और सामाजिक चेतना का भी संचार किया जाता है. यह उन स्वप्नदृष्टाओं और तत्वचिंतकों की पावन भूमि है, जहां गार्गी और मदालसा जैसी ब्रह्मवादिनी नारियों ने जन्म लेकर इसकी पवित्रता को चार चांद लगाए हैं. वहीं सीता और सावित्री जैसी नारियों ने पति-सेवा और नारी धर्म के प्रति हमें प्रेरित किया है. छायावादी कवि जयशंकर प्रसाद ने कहा है नारी, तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास-रजत-नग पग तल में; पीयूष-स्रोत-सी बहा करो, जीवन के सुंदर समतल में पं गोपाल प्रसाद व्यास ने भी कहा है. स्त्रियों में मैं कीर्ति, श्री, वाक्, स्मृति, मेधा, धृति और क्षमा हूं. यही सात शक्तियां नारी को श्रेष्ठ बनाती है.

इसके बाद प्रश्नोत्तरी का कार्यक्रम हुआ. प्रश्नों का उत्तर नारी-शक्ति द्वारा सम्यक रूप से दिया गया. प्रेरणादायी महिलाओं के संदेश ने श्रोतागण को आह्लादित कर दिया. सहज सलिला स्रोतस्विनी सी प्रवाहमयी वाणी एवं भावों का मधुर गुंफन सबको आनंदित कर गया. भारत के विकास में महिलाओं की भूमिका पर भी सविस्तार प्रकाश डाला गया. इस व्याख्यान ने सभा में उपस्थित देवी-स्वरूपा महिलाओं के मानस पटल पर गहरी छाप छोड़ी. अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठा एवं समर्पण की भावना निःसंदेह किसी को भी आगे बढ़ा सकती है. कार्यक्रम में उपस्थित माताओं को सम्मानित किया गया. दो माताओं ने अपने अनुभव कथन भी प्रस्तुत किए. अंत में वर्षा पाण्डेय ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में माताओं को प्रेरणा से ओत-प्रोत कर दिया. उन्होंने कहा कि प्रत्येक नारी का धर्म है कि अपने सात्विक गुणों से अपने जीवन को आदर्श बनाए. कार्यक्रम का संचालन चांदनी ने किया और संकल्प आयुषी कुमारी द्वारा दिलाया गया. इस अवसर पर लगभग 150 महिलाएं उपस्थित थीं. इस गरिमामय कार्यक्रम में भोजपुर विभाग के विभाग प्रमुख लालबाबू प्रसाद यादव, विद्यालय के प्रधानाचार्य मनोरंजन कुमार सहित सभी आचार्य उपस्थित रहे.

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