बक्सर. गंगा का जलस्तर तीसरी बार लाल निशान को पार करने के लिए बेताब है. नतीजा यह है कि मंगलवार को गंगा का पानी खतरे के निशान से मात्र 4 सेंटीमीटर नीचे बह रहा था. हालांकि जलस्तर वृद्धि काफी धीमी हो गयी है. चालू मानसूनी मौसम में इससे पहले दो बार गंगा का पानी खतरे के निशान को पार कर चुका है. गंगा के जलस्तर में तीसरी बार बढ़ोतरी होने से एक बार फिर बाढ़ की संभावना बढ़ गई है. जिससे नदी के तटवर्ती इलाके के लोगों की धड़कनें बढ़ गयी हैं. उतराखंड समेत अन्य प्रदेशों में भारी बारिश के चलते चार-पांच दिन से गंगा में उफान आ गया है. दूसरी बार खतरे के निशान से नीचे खिसकते हुए गंगा का न्यूनतम जलस्तर 59.05 मीटर हो गया था. लेकिन ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में हुई भारी वर्षा के चलते जलस्तर बढ़ते हुए गुरुवार की शाम 5 बजे 60.28 मीटर हो गया, जो लाल निशान 60.32 मीटर से मात्र 4 सेंटीमीटर दूर है. बाढ़ की संभावना से बढ़ी चिंता गंगा के जलस्तर में अनवरत हो रही वृद्धि से तटवर्ती क्षेत्रों के लोगों की चिंता बढ़ गई है. सहायक नदियों ठोरा व कर्मनाशा में भी उफान आ गया है. जिसके कारण एक बार फिर खेतों में खड़ी फसलें डूबने लगी हैं. शहर के रामरेखाट समेत अन्य घाटों की सीढ़ियां पूरी तरह डूब गई हैं. श्मशानघाट स्थित मुक्ति धाम में पानी ऊपर तक पहुंचने से शव जलाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वही दियारा क्षेत्रों में जन-जीवन प्रभावित हो गया है. पशुओं के चारा की समस्या होने लगी है और फसल डूबने से खेती-बारी चौपट हो गई है. बाढ़ को लेकर प्रशासन सतर्क बाढ़ की खतरे से निबटने को लेकर जिला प्रशासन सतर्क हो गया है. गंगा के जलस्तर पर लगातार नजर रखी जा रही है. बक्सर-कोइलवर तटबंध की भी निगरानी बढ़ा दी गई है. जिला पदाधिकारी डॉ.विद्या नंद सिंह के निर्देश पर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति पर संबंधित अंचलाधिकारी नजर बनाए हुए हैं, ताकि बाढ़ आपदा के हालात से निबटा जा सके.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

