चौसा. रामलीला समिति चौसा के तत्वावधान में अध्यक्ष रबिश जयसवाल के नेतृत्व में आयोजित चौसा बाजार रामलीला मंच पर स्थानीय युवाओं द्वारा विजयादशमी महोत्सव के उपलक्ष्य में खेले जा रहे रामलीला के दूसरे दिन राजा भानुप्रताप प्रसंग का मंचन हुआ. जिसमें दिखाया जाता है कि बक्सर. रामलीला के विशाल मंच पर दृश्यमान होते हैं महाराज मनु व महारानी सतरूपा जो मंत्रिमंडल के सदस्यों से गहन मंत्रणा के बाद राज्य सत्ता अपने पुत्र उतानपाद को सौंपकर तपस्या करने की इच्छा जाहिर करते हैं. जिसपर अंतिम फैसले के उपरांत महाराज मनु पत्नी सतरुपा के साथ वन जाते हैं. जहां एक ऋषि से द्वादश अक्षरी मंत्र की दीक्षा ले तपस्या में लीन हो जाते हैं. उनकी कठोर तपस्या से चिंतित ब्रह्मा, विष्णु व महेश उनके पास पहुंचते हैं और महाराज मनु से वरदान मांगने की इच्छा जाहिर करते हैं. लेकिन उनकी समाधि भंग नहीं होती है. सो त्रिदेवों को उन्हें मनाने की अपनी विफलता के पश्चात वहां से लौटना पड़ता है. फिर भगवान विष्णु माता लक्ष्मी के साथ दोबारा दर्शन देकर तपस्या समाप्त करने की याचना करते हैं. लिहाजा महाराज मनु व सतरुपा का ध्यान भंग होता है तथा भगवान से वे उनके जैसी ही संतान प्राप्त करने का वरदान मांगते हैं. जिनकी कामना पर भगवान विष्णु राम समेत चार अंशों में बतौर उनके पुत्र अवतरित होने का भरोसा देकर अंतरधान हो जाते हैं. समय अंतराल के पश्चात भगवान विष्णु के वरदान के अनुरूप महाराज मनु, दशरथ व देवी सतरूपा, कौशल्या के रूप में अयोध्या में जन्म लेते हैं तथा बतौर राजा-रानी अयोध्या के राजकाज की जिम्मेदारी संभालते हैं. दूसरी तरफ कपटी मुनी के षड्यंत्र का शिकार बन परम प्रतापी राजा प्रताप भानु अहंकार से परिपूर्ण ब्राम्हणों का घोर अपमान व तिरस्कार किया जा रहा है. जिससे चारों तरफ हाहाकार मच जाता है तभी भविष्यवाणी होती है कि आज तुम ब्राम्हणों को सता रहे हो जाओ तुम्हारे कुल में अब राक्षस ही पैदा लेंगे. उक्त प्रसंग को देख उपस्थित हजारों दर्शक आनंदित हो उठे.
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