बक्सर
. गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व इस वर्ष स्वामी सहजानन्द सरस्वती आश्रम के प्रांगण में राजगुरु मठ वाराणसी व स्वामी सहजानन्द सरस्वती आश्रम के अध्यक्ष दंडी स्वामी देवानंद सरस्वती का 100 वर्ष पूर्ण होने पर शताब्दी समारोह मनाया गया. यह आयोजन केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि एक सदी की साधना, सेवा और त्याग को श्रद्धांजलि देने का अवसर है. गुरुवार को इस मौके पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का जनसैलाब आश्रम में उमड़ पड़ा. चारों ओर शांति, श्रद्धा और भक्ति का वातावरण था. कार्यक्रम की शुरुआत गुरु पुजन, वेद मंत्रों, गुरु स्तुतियों और शंखध्वनि के साथ हुई. प्रमुख आचार्यों व विद्वानों द्वारा विधिवत गुरु पूजन संपन्न कराया गया. दंडी स्वामी देवानंद सरस्वती जी महाराज ने इस अवसर पर श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए अपने शतायु जीवन का सार प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि यह जीवन किसी व्यक्ति का नहीं, बल्कि धर्म, संस्कृति और समाज के लिए समर्पित एक साधक का जीवन है. उन्होंने सभी को संयम, सेवा और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी. उनका उद्बोधन सरल, सजीव एवं गहन था, जिसमें उन्होंने गुरु-शिष्य परंपरा की महत्ता, त्याग के मूल्य और आत्मानुशासन की शक्ति को बताया. इस आयोजन के दौरान आश्रम परिसर में स्वामी जी के जीवन पर आधारित चित्र प्रदर्शनी, उनके प्रवचनों के अंश, तथा पूर्व के धार्मिक कार्यक्रमों की झलकियां भी प्रदर्शित की गयी, जिससे उपस्थित जनमानस को उनकी तपस्या और सेवा का व्यापक परिचय प्राप्त हुआ. दंडी स्वामी परमात्मानंद सरस्वती अमित ब्रह्मचारी, प्रशांत कुमार राय, चन्दन राय, प्रिंस राय, सत्यम राय, शिवम राय, संजीवनी राय शामिल रहे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

