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सरकारी जमीन को निजी जमीन बताकर रजिस्ट्री कराने के मामले का भंडाफोड़

रजिस्ट्री कराने के मामले का भंडाफोड हो जाने के बाद इस मामले में दो लोगों की गिरफ्तारी की गयी है

बक्सर. जिले के सिमरी थाना में सरकारी जमीन को निजी जमीन बताकर रजिस्ट्री कराने के मामले का भंडाफोड हो जाने के बाद इस मामले में दो लोगों की गिरफ्तारी की गयी है. वही इस मामले में आरोपित एक अन्य व्यक्ति फरार है. जिसकी गिरफ्तारी को लेकर पुलिस छापेमारी कर रही है. सिमरी थाना के सत्येंद्र कुंवर के पुत्र सचिन कुंवर के लिखित आवेदन देने के बाद इस मामले में कुल तीन लोगों पर नामजद प्राथमिकी दर्ज की गयी है. जिसमें देवेंद्र प्रताप गिरी, सत्येंद्र प्रताप गिरी और नागेंद्र प्रताप गिरी शामिल हैं. तीनों भाई हैं जो यूपी के बलिया जिला के फेफना थाना क्षेत्र के सागर पाली गांव के रहने वाले हैं. पुलिस ने जिन दो भाइयों को गिरफ्तार किया है, उसमें देवेंद्र प्रताप गिरी और सत्येंद्र गिरी शामिल हैं. जबकि तीसरे भाई नागेंद्र प्रताप गिरी फरार हैं. जिसे पुलिस गिरफ्तार करने को लेकर छापेमारी कर रही है. इस संबंध में तिलक राय के हाता ओपी प्रभारी ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है. वही सिमरी सीओ के प्रभार में राजस्व अधिकारी राहुल सिंह ने कहा कि अभी दो रोज पहले ही सीओ का प्रभार लिए हैं. सिमरी सीओ एक सप्ताह की अवकाश पर चले गए हैं. अवकाश से उनके आने के बाद ही वही जानकारी देंगे कि सरकारी जमीन को निजी जमीन बताकर कैसे रजिस्ट्री करने का खेल चल रहा था. इधर पीड़ित सचिन कुंवर ने पुलिस को दिए आवेदन पत्र में कहा है कि 97 बीगा 14 कट्टा के रैयती जमीन का रजिस्ट्री कराने के लिए आरोपितों ने कुल 69 लाख 40 हजार रुपये की मांग किया था. जिसमें बयाना के तौर पर कुल दस लाख 51 हजार रुपये गवाह के समक्ष उनलोगों को दिया गया था. जिस जमीन के लिए इतनी राशि दिया गया था जब उसकी मौका मुआयना करने पहुंचा तो अगल-बगल के लोगों ने पूछताछ में बताया कि तीनों आरोपितों की यहां पर कोई जमीन नहीं है. इस संबंध में जब सचिन कुंवर ने उनसे संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि आप पिलर, पोल जमीन पर गिरवा दीजिए. मेरा आदमी एक दो रोज में वहां पहुंचकर जमीन की मापी करवाकर उसकी बाउंड्री दिलवा देंगे. इसके बाद मैने एक लाख पचास हजार रुपये का पिलर, पोल और तार समेत अन्य सामग्री गिरवाकर गवाहों के समक्ष तीनों भाई को स्थल पर बुलाएं, तो वे लोग नहीं आए. और जो सामान वहां गिरवा गया था वो भी गायब था. इसके बाद उन सभी से जब संपर्क करने की काशिश की गयी तो वे लोग धमकी देने लगे. बाद में पता लगा कि आरोपितों ने जिस जमीन का रजिस्ट्री कराने के नाम पर राशि लिए हैं, वह सरकारी है.

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